हिमाचल निर्माता के घर तक बेहतर सड़क भी नहीं, मुख्यमंत्री पद छोड़ने पर खाते में थे 563 रुपये; जानिए
चन्हालग ने तुम्हें परमार दिया, परमार ने दिया हिमाचल, अब तुम बताओ कि तुमने चन्हालग को क्या दिया’। यह नारा इसलिए उठता रहा है, क्योंकि हिमाचल निर्माता के जन्म स्थान चन्हालग को वास्तव में आज तक किसी सरकार से कुछ नहीं मिला। हिमाचल रूपी पौधे को रोपकर उसे पुष्पित और फलित होने को ताना बाना बुनने वाले डॉ. यशवंत सिंह परमार ने जिस स्थान पर जन्म लिया, उसकी खबर लेने वाला आज कोई नहीं है।
हालांकि हर वर्ष चार अगस्त डॉ. परमार जयंती पर प्रदेश में जगह-जगह सरकारी व गैर सरकारी आयोजन होते हैं। राजनेता उनके कसीदे पढ़ते हैं, घोषणाएं करते हैं, लेकिन उन पर अमल कोई नहीं करता। डॉ. परमार के गांव तक पहुंचने के लिए आज खस्ताहाल सड़क है। प्रदेश की सरकारें डॉ. परमार के घर को म्यूजियम बनाने की बातें करती रही हैं, लेकिन हुआ कुछ नहीं। हालांकि प्रदेश में डॉ. परमार के नाम पर कई स्कूल व कॉलेज खोले हैं और कुछ सरकारी भवनों का नाम भी डॉ. परमार के नाम पर रखा है, लेकिन उनका गृह क्षेत्र आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए सरकार की ओर देख रहा है।
हिमाचल निर्माता व प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाइएस परमार ऐसे नेता थे, जिन्होंने प्रदेश के विकास के योगदान के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। डॉ. परमार ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने प्रदेश का इतिहास ही नहीं, बल्कि भूगोल भी बदल कर रख दिया। डॉ. परमार ने हिमाचल की भाग्य रेखा को बदलने के लिए जो शुरुआत की थी, वह गांव-गांव तक जा पहुंची है, लेकिन डॉ. वाइएस परमार के गृह क्षेत्र पच्छाद में इन पर जख्म हैं। वहीं, पच्छाद की विधायक रीना कश्यप ने बताया वह डॉ. परमार के गांव की सभी समस्याओं को मंगलवार को पीटरहॉफ में होने वाले राज्यस्तरीय कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के समक्ष उठाएंगी।
मुख्यमंत्री पद छोड़ा तो खाते में थे 563 रुपये
डॉ. परमार की छवि इतनी साफ थी कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के एक संदेश से ही मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया था, जब डॉ. परमार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर हिमाचल पथ परिवहन निगम की बस से अपने गांव आ रहे थे तो उनका बैंक बैलेंस मात्र 563 रुपये था। डॉ. परमार ने सिरमौर जिला को छोड़कर अन्य जिलों का विकास किया, जबकि डॉक्टर परमार के बाद जितने भी मुख्यमंत्री आए उन्होंने अपने जिलों को ही ज्यादा तवज्जो दी।