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हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा कुलदीप गर्ग तरुण के ग़ज़ल संग्रह “उजालों का हुजूम” का विधायक संजय अवस्थी ने शिमला के गेयटी थिएटर में किया लोकार्पण,अवस्थी ने साहित्यकारों को बताया सरकारों का मार्गदर्शक

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आज शिमला के गेयटी थियेटर सभागार में आयोजित लोकार्पण समारोह में चर्चित गज़लकार कुलदीप गर्ग तरुण के पहले ग़ज़ल संग्रह “उजालों का हुजूम” का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अर्की विधान सभा क्षेत्र के विधायक संजय अवस्थी थे। अध्यक्षता प्रख्यात लोक गायक संगीतज्ञ डॉ.कृष्ण लाल सहगल ने की। मंच पर विशेष अतिथि के रूप में जानेमाने आलोचक डॉ.हेमराज कौशिक और साहित्य प्रेमी प्रशासनिक अधिकारी केशव राम विराजमान रहे। सभी अतिथियों का हिमाचली शॉल, टोपी और मफलर पहनकर स्वागत अभिनंदन किया गया। इससे पूर्व दो मिनिट का मौन रख कर पहलगांव में आतंकियों के हाथों मारे गए निर्दोष पर्यटकों को विनम्र श्रद्धांजलि दी गई। यह जानकारी मंच के अध्यक्ष एस आर हरनोट को आज शिमला ने मीडिया को दी।

विधायक संजय अवस्थी ने कुलदीप गर्ग तरुण को इस गजल संग्रह के लिए बधाई देते हुए कहा कि साहित्य और संस्कृति का समाज को दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान रहता है। किसी भी सरकार के लिए साहित्यकार मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं और साहित्य, संस्कृति और कला को बढ़ावा देना सरकार का विशेष उत्तरदायित्व रहता है। अवस्थी जी ने आश्वासन दिया कि मंच के अध्यक्ष एस आर हरनोट जी ने जो लेखकों की समस्याएं मेरे संज्ञान में लाई है वे उन्हें मुख्यमंत्री जी के नोटिस में लाएंगे और उनका शीघ्र समाधान किया जाएगा। अवस्थी जी ने हिमालय मंच को 21000 रूपये देने की घोषणा भी की।

दिल्ली संगीत एवं नाट्य अकादमी से पुरस्कृत और आकाशवाणी शिमला में प्रथम श्रेणी के लोकगायक और संगीतज्ञ डॉ. कृष्ण लाल सहगल ने कुलदीप तरुण को बधाई देते हुए कहा कि ग़ज़ल जितनी सुनने में मधुर लगती है लिखने और साधने में उतनी ही कठिन है। ग़ज़ल जिन नियमों में बंध कर लिखी जाती है यदि उनका पालन नहीं होता तो वह ऐसी ही है जैसे ज़मीन का कोई टुकड़ा बिना पेड़ और हरियाली के उजाड़ होता है। मुझे खुशी है कि कुलदीप गर्ग तरुण ने ग़ज़ल को साधा है जिस कारण उन्हें देश के बड़े उस्ताद शायरों के साथ ग़ज़ल पढ़ने के अवसर मिले हैं। सहगल जी ने अपने कंपोज किए कुछ लोक गीत और ग़ज़लें भी गाई।

डॉक्टर हेमराज कौशिक ने तरुण की साधना की प्रशंसा करते हुए उन्हें भविष्य का बड़ा शायर होने की संभावनाएं व्यक्त की। उन्होंने कहा कि तरुण की ग़ज़लों के विषय सामयिक है। जगदीश बाली और रमेश डढवाल, जो इस आयोजन के मुख्य वक्ता थे उन्होंने विस्तार से इस संग्रह पर अपनी बात कही। जगदीश बाली ने अपना वक्तव्य मंच संचालन के मध्य ही दिया और अपने कुशल संचालन से समा बांध दिया। बाली जी ने ग़ज़ल के इतिहास पर बात की और रमेश डढवाल ने ग़ज़ल के व्याकरण के साथ तरुण जी की ग़ज़लों पर बात की। साहित्य प्रेमी विशेष अतिथि केशव राम जी ने इस संग्रह के लिए तरुण को बधाई और शुभकामनाएं दी।

लेखकीय वक्तव्य में तरुण गर्ग तरुण ने अपनी ग़ज़ल यात्रा और जीवन संघर्ष के बारे में कहते हुए अपने ग़ज़ल गुरु विजय कुमार स्वर्णकार को बहुत शिद्दत से याद किया और कहा कि इस विधा में उन्हीं की वजह आज आया हूं। उन्होंने कई अन्य मित्रों का भी आभार व्यक्त किया। तरुण ने विशेष रूप से अपनी अर्धांगिनी और बच्चों के सहयोग को नम आंखों से व्यक्त किया। इसके बाद तरुण ने अपनी कई ग़ज़लों का पाठ किया और साहित्य प्रेमियों और लेखक श्रोताओं की वाहिवाही लूटी।

दूसरा सत्र काव्य गोष्ठी को समर्थित रहा जिसमें मंच पर विशेष अतिथि के रूप में जाने माने कवि आलोचक डॉ. सत्यनारायण स्नेही और कवि प्रो.रोशन लाल जिंटा मौजूद् रहे। कविता गोष्ठी में बच्चों सहित युवा और वरिष्ठ रचनाकारों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। सभागार में को लेखक, कवि, साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे उनमें डॉ देवेंद्र गुप्ता, डॉ दिनेश शर्मा, ओम प्रकाश शर्मा, डॉ.अनीता शर्मा, डॉ.राजन तनवर, राधा, अंजू आनंद, वन्दना राणा, जसपाल, हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, सलिल शमशेरी, डॉ देवकन्या ठाकुर, अश्वनी कुमार, हेमलता, धनंजय सुमन, हरदेव सिंह धीमान, दक्ष शुक्ला, नीता अग्रवाल, चंद्रेश कुमार, देवीना अक्षयवर, हिमाचल विश्वविद्यालय संगीत विभाग की संगीत छात्राएं सपना ठाकुर और रितिका मोदगिल, पंकज, यादव चंद, जगदीश हरनोट, दिल्ली से एस एस यादव,
दयानंद पब्लिक स्कूल की छात्राओं शुभांगी शर्मा , केंद्रीय विद्यालय शिमला नैना कौंडल और तरुण गर्ग जी के परिवार से रमा गर्ग, दीपिका गर्ग, ज्योति गर्ग, सुनील गर्ग और नरेंद्र गर्ग शामिल रहे।

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