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जाली डिग्री के फर्जीवाड़े से बदनाम हो चुके विश्वविद्यालयों के लिए अपने उत्कृष्ट कार्यों और शोधों से प्रेरणा बन रहा है सोलन का शूलिनी विश्वविद्यालय- शूलिनी ने अपने नाम किया एक और कीर्तिमान

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शूलिनी विश्वविद्यालय ने दस वर्षों में अपनी सफलताओं की सूची में एक और कीर्तिमान स्थापित किया है। भारत में शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों द्वारा पेटेंट दाखिल करने में शूलिनी विश्वविद्यालय  देश में तीसरे स्थान पर और हिमाचल प्रदेश में पहले स्थान पर पहुंच गया है।

हाल ही में ऑफिस ऑफ इंटेलेक्चुअल राइट्स, इंडिया द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पेटेंट फाइलरों की सूची में सबसे पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs) हैं। हालांकि, देश के सभी 23 आईआईटी द्वारा दायर किए गए पेटेंट  संस्थानों को  पेटेंटकर्ता घोषित करने के लिए एक साथ एक  समूह में विलय कर दिया गया है।

केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय और उद्योग मंत्रालय और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के तहत पेटेंट, डिज़ाइन, ट्रेड मार्क्स और भौगोलिक विभाग के कार्यालय द्वारा गुरुवार को रैंकिंग घोषित की गई।

शूलिनी विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी व प्रोफेसर निशा कपूर ने बताया कि प्रत्येक राज्य से दायर पेटेंट की संख्या के अनुसार अप्रैल 2018 और मार्च 2019 के दौरान हिमाचल प्रदेश से कुल 193 पेटेंट दायर किए गए जबकि शूलिनी विश्वविद्यालय के पास इस अवधि में 185 पेटेंट दर्ज करने का रिकॉर्ड है। हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय वित्त पोषित संस्थानों सहित अन्य सभी  संस्थानों में से , लगभग सभी पेटेंट शूलिनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा दायर किए गए हैं, जिन्होंने राज्य को देश के शीर्ष पेटेंट दाखिल करने वाले राज्यों में शामिल किया है।

निशा कपूर ने बताया कि विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक 425 पेटेंट दर्ज किए हैं।
प्रतिष्ठित रैंकिंग के लिए संकाय और छात्रों को बधाई देते हुए, कुलपति प्रोफेसर पी के खोसला ने कहा कि रैंकिंग विश्वविद्यालय में अनुसंधान पर दिए गए जोर को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय पहले से ही अनुसंधान और नवाचार के विभिन्न मापदंडों में दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने 2014 के अंत में अनुसंधान पर ध्यान देना शुरू किया और इसके शोधकर्ता पहले वर्ष के लिए केवल 33 पेटेंट दायर कर सके।  धीरे-धीरे इसने गति पकड़ी और अब तक कुल 425 पेटेंट दायर किए हैं। पेटेंट की औपचारिक फाइलिंग के बाद अगला कदम पेटेंट का प्रकाशन है और अब तक इनमें से 211 पेटेंट प्रकाशित हो चुके हैं।

प्रो खोसला ने कहा कि ट्रेडमार्क के अलावा विश्वविद्यालय के पास  30 डिजाइन पेटेंट हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय को छह कॉपीराइट भी दिए गए हैं।
कुलपति ने कहा कि कोविद महामारी ने शोध कार्य को धीमा कर दिया है, लेकिन लंबित परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय ने इंजीनियरिंग, बेसिक  साइंसेज फार्मास्यूटिकल्स, और  जैव प्रौद्योगिकी में अधिकतम पेटेंट दर्ज किए हैं।

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