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हरियाणा की हार पर कांग्रेस का मंथन,भाजपा पर जीत के लिए छल-कपट का सहारा लेने के लगाए गम्भीर आरोप,अब आगे की लड़ाई के लिए कमर कसने को तैयार

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हरियाणा में कांग्रेस अपनी हार से हतप्रभ है । चुनावी नतीजे आने तक सभी मीडिया हाउस और राजनीति के पंडित भाजपा की हार और कांग्रेस की जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त थे और लगभग सभी ने अपने आकलन में कांग्रेस को एक तरफ़ा जीत की ओर जाने का इशारा या यूं कहें की भविष्यवाणी भी कर दी थी और 8 अक्टूबर को सुबह जब मतगणना शुरू हुई तो एकबानगी उनकी भविष्यवाणी सच प्रतीत होती नजर भी आई लेकिन जैसे-जैसे वोटों की गिनती आगे बढ़ती गई कांग्रेस की उम्मीदें और राजनैतिक पंडितों के दावे और आकलन भी औंधे मुंह गिरते गए । 65 से अधिक सीटों पर जीत का दावा कर रही कांग्रेस जश्न की सभी तैयारियां भी कर चुकी थी । जलेबियों, ढोल नगाड़ों और पटाखों व आतिशबाजियों का पूरा इन्तज़ाम हो गया था परंतु अंततोगत्वा कांग्रेस के हाथों से हरियाणा की गद्दी मुट्ठी से रेत की मानिंद कुछ ही पलों में फिसल गई । इस हार को स्वीकार करना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है लेकिन आगे बढ़ना ही ज़िंदगी है या कहें कि राजनीति है तो गलत नहीं होगा । इस हार से सबक लेते हुए और भविष्य में इन गलतियों से बचने के लिए कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने मंथन करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में कांग्रेस कमेटी मीडिया कॉर्डिनेटर अनिल गोयल और अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के चेयरमैन सुखपाल सिंह खैरा और वाइस चेयरमैन अखिलेश शुक्ला ने मंथन किया। इस दौरान कांग्रेस नेताओं ने जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन की जीत को ऐतिहासिक बताया है। अनिल गोयल ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार की जम्मू-कश्मीर के लोगों के प्रति नफरत फैलाने और उनसे सौतेला व्यवहार करने की नापाक कोशिश को वहां की जनता ने सिरे से नकार दिया है जो की लोकतंत्र की जीत है। गोयल ने हरियाणा मेंं कांग्रेस के जीती हुई बाजी हारने पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है। उनका कहना है कि मतदान के दिन भी बहुत से प्रत्याशियों ने गड़बड़ी की शिकायतें की थी। उन्होंने भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि हरियाणा में भाजपा की जीत छल और कपट से संभव हुई है। गोयल ने कहा कि मन की बात करने वाले मौन हो चुके है।

खैर हार के जो भी कारण रहे हो लेकिन एक हार से कोई भी राजनेता या राजनीतिक दल शोक में डूब कर सन्यास नहीं ले सकता यही इस राजनीति का दिलचस्प पहलू है सो कांग्रेस के नेता भी अब आगे की लड़ाई के लिए कमर कस चुके हैं ,हरियाणा की हार को महाराष्ट्र के महासंग्राम में जीत में परिवर्तित करने को रणनीतिकार जुट चुके हैं ।

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