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वरिष्ठ लेखक, शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश कश्यप की दो पुस्तकों का लोकार्पण, साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित

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हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा हिमाचल भाषा कला संस्कृति अकादमी के सहयोग से आज शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थिएटर सभागार में वरिष्ठ लेखक, शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश कश्यप की दो पुस्तकों ….. कहानी संग्रह “उम्मीद” और कविता संग्रह “सच कह दूं तो चलूं” का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण के समय मंच विराजमान आयोजन की अध्यक्षता कर रहे विजय विजय कुमार, आई ए एस, विशेष सचिव, पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन, हिमालय मंच के अध्यक्ष एस आर हरनोट, वरिष्ठ आलोचक हेमराज कौशिक और युवा लेखक राजन तनवर उपस्थित रहे। उसके बाद जगदीश कश्यप जी को उनके 75 वर्ष पूर्ण करने पर लेखन और शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान हेतु सम्मानित भी किया गया। यह जानकारी हिमालय मंच के अध्यक्ष और लेखक एस आर हरनोट ने मीडिया को दी।

उन्होंने सभी अतिथियों और रचनाकारों का स्वागत करते हुए कहा कि लिखने की कोई उम्र नहीं होती। आज समय न साहित्य रुचि का है, न पढ़ने का और न ही सच कहने का, उस वक्त यदि कोई सक्रियता से साहित्य रच रहा हो और वह भी 75 वर्ष की उम्र में तो वह बड़ी और सराहनीय बात है। कश्यप जी की पहली कविता पुस्तक दो साल पहले आभी प्रकाशन से “डर लगता है” शीर्षक से आई थी जिसे पाठकों ने खूब सराहा था। एस आर हरनोट ने कश्यप जी की लेखन, समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रहने के लिए उन्हें बधाई दी।

अध्यक्षता कर रहे विजय कुमार जी का स्वागत आभार व्यक्त करते हुए एस आर हरनोट ने बताया कि विजय जी प्रशासनिक दायित्वों के साथ हिंदी, अंग्रेजी और पहाड़ी में कविताएं और कहानियां लिख रहे हैं। विजय कुमार ने हिमालय मंच को इस आयोजन के लिए बधाई दी और मंच की सक्रियता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि साहित्य मनुष्य में संवेदना और समाज के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करता है। यह अभिव्यक्ति का भी बड़ा साधन है। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे खूब साहित्य पढ़ें और वरिष्ठ लोगों का सानिध्य अवश्य प्राप्त करते रहें क्यों आज के समय में यही धरोहर उनको सुसंस्कृत करता रहेगा।

मुख्य वक्ता वरिष्ठ आलोचक हेमराज कौशिक जी ने कश्यप जी को इस बात के लिए बधाई दी कि उन्होंने अपनी रचनाओं को पहले से और अधिक परिष्कृत किया है। उम्मीद कहानी संग्रह पर उन्होंने विस्तार से बात की। युवा आलोचक कवि राजन तनवर ने कविता संग्रह सच कह दूं तो चलूं पर वक्तव्य देते हुए कहा कि ये कविताएं वास्तव में ही सच बोलती है। ये आज के समाज के ऐसे आख्यान हैं जिन पर बेबाकी से बात की गई है।

जगदीश कश्यप जी ने आभी प्रकाशन के संचालक जगदीश हरनोट का पुस्तक प्रकाशन के लिए आभार जताया।
पहले सत्र का संचालन कथाकार कवयित्री दीप्ति सारस्वत “प्रतिमा” ने अपनी सुंदर और सारगर्भित टिप्पणियों के साथ किया।

दूसरा सत्र बहुभाषी कवि सम्मेलन था जिसमें लगभग 40 वरिष्ठ, युवा और नवोदित रचनाकारों ने अपनी रचनाएं हिंदी, अंग्रेजी और पहाड़ी में पढ़ी। इस सत्र का संचालन जाने माने कवि, मोटीवेटर और शिक्षक जगदीश बाली ने बहुत सुंदर अंदाज में किया।

सभागार में उपस्थित रचनाकारों में डॉ.ओ.सी हांडा, हेमराज कौशिक, डॉ.मस्तराम शर्मा, डॉ.करम सिंह, जगदीश बाली, ओम प्रकाश शर्मा, डॉ.विजय लक्ष्मी नेगी, ओ पी शर्मा, डॉ. देव कन्या ठाकुर, डॉ.दिनेश शर्मा, हरदेव सिंह धीमान, स्नेह नेगी, अनु ठाकुर, राधा सिंह, डॉ.राजन तनवर, हेमलता, अनिल शर्मा, जगदीश हरनोट, गीता कश्यप, वीरेंद्र कुमार, यादव चंद, डॉ. देविना अक्षयवर, चंद्रकुमार, उमा ठाकुर “नधैक”, मनोज शर्मा, दक्ष शुक्ला, कमला ठाकुर,वसुंधरा धर्मानी, दिव्या, यादव सलहोत्रा, जिया लाल साधक, अनिता शर्मा, स्वप्निल,

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