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कर्मचारियों के उच्च वेतनमान देने के निर्णय को वापस लेने के राज्य सरकार के फैसले को भाजपा ने बताया कर्मचारी विरोधी, चुटकी लेते कहा-ये पब्लिक है सब जानती है

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भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अजय राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार की देनदारियां इतनी हैं कि सरकार की रेलगाड़ी हांफने लगी है। पहले बिना सोचे समझे ओपीएस लागू किया फिर उसमें भी कांट्रैक्ट कर्मी कोर्ट गये तो उस निर्णय को संशोधित किया ऐसा प्रतीत होता है कि जो जो वादे कांग्रेस ने सत्ता में आने के लिए किए वे सब बिना गुणा भाग के थे और अब हिमाचल प्रदेश को मंझधार में फंसा कर रख दिया, अब हिमाचल के सभी वर्ग ठगे से महसूस कर रहे हैं जिसमें से कर्मचारी वर्ग तो बहुत ही ठगा गया है। अजय राणा ने कहा अब 3 जनवरी 2022 से सिविल सर्विस के कर्मियों का हायर ग्रेड खत्म करने की घोषणा 6 सितम्बर के पत्र से कर दी, जो कि पूरी तरह असहनीय है। यह कर्मचारियों को निरुत्साहित करता है, कर्मचारी तो इसका विरोध करेंगे ही पर इसके दूरगामी परिणाम भी दिखाई देंगे। कौन कर्मचारी है जो अपना पेट काट कर काम करना चाहेगा। सरकार के लोग इतनी बेशर्मी पर उतर आये हैं जैसे इनकी ये चालाकियां किसी को समझ ही नही आ रही हैं। अजय राणा ने कहा कि अपने मित्रों के लिए तो गाडियां व पद नित्त नये परोसे जा रहें है, ये पब्लिक है सुक्खू जी सब जानती है। आप क्या कह कर आये थे और क्या कर रहे हैं ? आप हिमाचल का कवाडा करने पर तुले हो। कौन सलाहकार है आपका जो आपसे यह करवा रहा है। हम हैरान है कि 180 डिग्री पर आदमी महज सत्ता के लिए कैसे इतना झूठ बोल लेता होगा? उन्होंने कहा कि इससे हिमाचल में बहुत ही भयंकर परिणाम आयेंगे।

क्या आपने यह सोचा कि कर्मी अपना घाटा पूरा करने के लिए क्या कर सकता है? कोई ऐसी बड़ी समस्या आन पडी थी तो सोशल मीडिया पर रायशुमारी करवा लेते।

  • भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा कर्मचारियों को उच्च वेतनमान देने का निर्णय वापस लेना वर्तमान सरकार का कर्मचारी विरोधी चेहरा उजागर करता है।
  • कांग्रेस सरकार ने पूर्व भाजपा सरकार के समय दिए गए उच्च वेतनमान का निर्णय वापस ले लिया गया है। छह सितंबर, 2022 को जारी अधिसूचना के अनुसार, 89 श्रेणियों के विभिन्न कर्मचारियों को, जो तीन जनवरी 2022 से पूर्व नियुक्त हुए थे, दो वर्ष का नियमित कार्यकाल पूर्ण करने पर उच्च वेतनमान दिया गया था। वित्त विभाग ने शनिवार को अधिसूचना जारी कर इस लाभ को समाप्त करने का निर्णय लिया है। विभागों को निर्देश दिया गया है कि इन कर्मचारियों का पुनः वेतन निर्धारित किया जाए। इसके परिणामस्वरूप प्रत्येक कर्मचारी को प्रतिमाह 10,000 से 15,000 रुपये का वित्तीय नुकसान होगा।

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