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भाजपा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व अधिकारी विमल नेगी के रहस्यमयी निधन मामले में सी बी आई जांच करवाने के फैसले को बताया सत्य की जीत

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भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. राजीव बिन्दल ने कहा कि विमल कुमार नेगी की रहस्यमयी मृत्यु ने पूरे हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा माहौल बना दिया है कि प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार कटघरे में खड़ी हुई। विमल नेगी की मृत्यु के तुरंत बाद पूरे प्रदेश के अंदर हाहाकार की स्थिति उत्पन्न हो गई। जनमानस ने खुलकर इस बात के उपर शंका जताई कि ये आत्म हत्या नहीं हो सकती, इसके पीछे बहुत बड़े रहस्य हैं। जगह-जगह कैंडल मार्च हुए, जगह-जगह उनको श्रद्धाजंलि देने के लिए सभाएं हुई और पूरे हिमाचल प्रदेश से एक निष्पक्ष जांच की मांग की गई।
डाॅ. बिन्दल ने कहा कि विमल नेगी की पत्नी, उनके परिवारजनो और किन्नौर जिला ने सामुहिक रूप से कहा कि विमल नेगी एक ईमानदारी अधिकारी थे और इनकी अब तक की नौकरी में उनके उपर कोई दाग नहीं था। ऐसे में उनका रहस्मय तरीके से गायब हो जाना और उनकी देह का भाखड़ा बांध में मिलना और मिलने के समय पर कुछ अधिकारियों का अनुचित सक्रियता और उनकी कुछ चीजों का लापता होना ये सारी चीजें कुछ और ही ईशारा कर रही थी और इसको लेकर सीबीआई जांच की मांग बलवती हुई।
डाॅ. बिन्दल ने कहा कि सीबीआई से जांच होनी चाहिए, ये जनता ने भी कहा, विमल नेगी के परिवाजनो ने कहा, भारतीय जनता पार्टी, जो विपक्ष में बैठी है, ने लगातार इस बात पर दबाव दिया कि इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए परन्तु मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू, जो कि गृह मंत्री भी हैं उन्होनें सीबीआई जांच की मांग को नकार दिया और एसआईटी बनाई। इसके अंदर एक और बात जो हैरान करने वाली है कि आईएएस रैंक के अधिकारी इस मामले में शंका के दायरे में आये आईएएस अधिकारियों की जांच करेंगे तो ऐसे में परिणाम क्या होगा ? यह सब ओर चर्चा का विषय थी।
डाॅ. बिन्दल ने कहा कि अंतोत्गतवा विमल नेगी की पत्नी को हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा और आज माननीय उच्च न्यायालय ने इस केस की सीबीआई जांच के आदेश पारित किए हैं। यह जहां एक तरफ सत्य की जीत दिखाई देती है वहीं दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार जो मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में चल रही है, के उपर सीधा-सीधा आक्षेप है। क्यों उन्होनें इतने दिनो तक सीबीआई जांच को ठुकराया ? क्यों उन्होनें इतने गंभीर मसले के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई ? और इसके पीछे ऐसे कौन से विषय हैं क्या इसके पीछे कोई भ्रष्टाचार छुपाने का प्रयास किया जा रहा था ?

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