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भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी एवं विधायक रणधीर शर्मा ने राज्य सरकार को पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकाय चुनाव स्थगित करने पर लिया आड़े हाथ , लोकतंत्र की मर्यादाओं के हनन का लगाया आरोप

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भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी एवं विधायक रणधीर शर्मा ने कांग्रेस सरकार पर पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकाय चुनाव को स्थगित करने के लिए आड़े हाथ लिया । शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि प्रदेश सरकार लोकतंत्र की मर्यादाओं का हनन कर रही है। कांग्रेस द्वारा पहले शहरी निकाय चुनाव को टालने की कोशिश की गई और अब हिमाचल प्रदेश के अनेक जिलों के उपायुक्तों से पत्र मंगवाया जिसमें लिखा था कि जिले के हालात आपदा के कारण ठीक नहीं है, रोड नेटवर्क सुचारू रूप से चला नहीं है इसलिए अभी चुनाव कराना व्यावहारिक नहीं है, ऐसे 4 उपायुक्तों के पत्र सचिव पंचायती राज के पास कांग्रेस द्वारा पहुंचाए गए और उसके तुरंत बाद आनन फानन में डिजास्टर मैनेजमेंट सेल द्वारा आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के माध्यम से आदेश जारी कर दिए गए कि इस साल हुई भारी बारिश के कारण बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है, नुकसान का विवरण देते हुए ये कहा गया कि ऐसे समय में चुनाव तब तक नहीं हो सकते जब तक रोड नेटवर्क पूरी तरह से फिर से सुचारू रूप से न चले।इसकी कॉपी सभी जिलाधीश, राज्य निर्वाचन आयोग और अन्य सभी विभागों के सचिवों और निर्देशकों को भेज दी गई। उसका चौतरफा विरोध होने के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा उस आदेश का विरोध होने के बाद कल शाम को पंचायती राज मंत्री ने और मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव समय पर हो रहे है ? कल की जारी अधिसूचना और मुख्यमंत्री मंत्री के बयानों में विरोधाभास से पैदा हुए असमंजस के वातावरण में मुख्यमंत्री और मंत्री द्वारा समय पर चुनाव कराने के बयान ने प्रदेश में भ्रम की स्थिति पैदा करने का काम किया है। उन्होंने सवाल किया कि अगर समय पर चुनाव होने हैं, तो पिछले कल जो उपायुक्त से पत्र मंगवाकर आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के द्वारा आदेश पारित किए गए उनका क्या औचित्य है? उस आदेश की क्या आवश्यकता थी ? उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री मंत्री चाहे कुछ भी कहें परंतु सरकार ये चुनाव टालना चाहती है। क्योंकि इससे पहले भी इस सरकार ने शहरी निकायों के चुनाव टालने का प्रयास किया है। नई शहरी इकाइयों का निर्माण भी सरकार ने किया जिनका चुनाव 6 महीने के अंतर्गत होना था, परंतु इस सरकार ने वो चुनाव न करवा के अध्यादेश लाया और एक्ट में बदलाव किया कि जो 6 महीने के अंदर चुनाव कराने आवश्यक थे वो कार्यकाल 6 महीने की बजाय दो साल कर दिया और बाद में विधानसभा के सत्र में अमेंडमेंट बिल लाकर उस ऑर्डिनेंस को पारित कराया गया। यह तय किया गया कि जो प्रदेश में नए शहरी निकाय अर्बन लोकल बॉडी बनी हैं उनके चुनाव दो साल तक नहीं होंगे, जो पुराने नगर शहरी निकाय हैं चाहे नगर पंचायतें नगर परिषद नगर निगम उनके चुनाव का तो प्रोसेस शुरू हो गया था। इलेक्शन कमीशन ने 24 मई, 2025 को पत्र जारी करके इलेक्शन प्रोसेस शुरू कर दिया था 3 शहरी निकायों की वार्ड गठन के ऑब्जेक्शन मांगे लिए थे, सारी डिटेल उन्होंने जारी कर दी थी परंतु बीच में सरकार के शहरी विकास विभाग के सचिव द्वारा पत्र जारी करके कि यह प्रोसेस रोका जाए।

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