प्रदेश के दिव्यांगजन अपनी अनदेखी से राज्य सरकार से नाराज़, हिमालयन दिव्यांग कल्याण संस्था ने मुख्यमंत्री से अपना वादा पूरा करने की लगाई गुहार
हिमालयन दिव्यांग कल्याण संस्था की जिला मंडी इकाई ने वर्तमान राज्य सरकार को आड़े हाथ लिया। संस्था का मानना है कि मुख्यमंत्री ने दो बजट पेश किये लेकिन दोनों बजटों में दिव्यांगों की अनदेखी की गयी जिससे दिव्यांग समाज बहुत आक्रोशित है। सभी वर्गों को बजट में कुछ ना कुछ दिया गया लेकिन दिव्यांगों के साथ ही भेदभाव क्यों ? दिव्यांग क्या इस प्रदेश का हिस्सा नहीं है? दिव्यांग क्या सिर्फ वोट बैंक तक ही सीमित हैँ? चुनाव से पहले उनको बड़े बड़े वादे किये जाते हैं । चुनाव के दिन दिव्यांगों को वोट डलवाने के लिए उठा उठा कर घर से लाते हैं। दिव्यांग भी सरकार बनाने में पूरी भागीदार बनते हैँ फिर चुनाव होने के बाद क्यों इनको दरकिनार किया जाता है। पिछली सरकारों के समय मे दिव्यांगों की पेंशन मे हर वर्ष बजट मे बढ़ौतरी की जाती है। सिर्फ वर्तमान सरकार के दो बजट आने पर भी मुख्यमंत्री ने दिव्यांगों को कुछ नहीं दिया। मुख्यमंत्री जी दिव्यांगों से इतनी नफरत क्यों?
पिछले वर्ष फ़रवरी में दिव्यांग कल्याण संघ हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री से मिला था तो मुख्यमंत्री ने खुद कहा था कि आपको एक अच्छी पेंशन दी जाएगी लेकिन अभी तक कुछ नहीं दिया और ये बोला था कि अभी प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। सिर्फ दिव्यांगों के लिए ही आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है लेकिन दूसरे सभी लोगों के लिए आर्थिक स्थिति ठीक है। ये कहाँ का न्याय है।
नई सरकार बनने के बाद कई कैबिनेट बैठकें हुई, कितने विधानसभा सत्र हुए लेकिन सरकार के किसी भी मंत्री , एम एल ए, और ना ही हमारे विभाग के मंत्री (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग) धनी राम शान्डिल जी ने कभी दिव्यांगों के मुद्दे सदन् में रखे फिर किसलिए मंत्रियों को विभाग दिये जाते हैँ जब ये जनता की समस्याओं को सरकार तक ना पहुंचा सके। यहाँ तक विपक्ष के भी किसी विधायक ने सदन की कार्यवाही में दिव्यांगों की बात नहीं की। इससे स्पष्ट होता है कि चाहे कोई भी पार्टी हो दिव्यांगों की हितैषी नहीं है। दिव्यांगों का इस्तेमाल सिर्फ वोटबैंक तक ही किया जाता है। सभी राजनैतिक दल अपनी अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में लगा है। किसी को जनता की कोई फ़िक्र नहीं है।
पिछले दिनों जो दृष्टिहीन दिव्यांग शिमला में धरने पर बैठे थे और वो मुख्यमंत्री जी से मिले तो मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आप तो दृष्टिहीन हो आप क्या काम करेंगे। मुख्यमंत्री जी की दिव्यांगों के प्रति ऐसी मानसिकता है। कुछ दिन बाद शिमला सचिवालय के बाहर दृष्टिहीन दिव्यांग धरना प्रदर्शन कर रहे थे तो उन पर पुलिस वालों ने धक्का मुक्की व अभद्रता की । ये बिना किसी आदेश के तो नहीं हो सकता था। इस तरह से इस सरकार पर क्या भरोसा किया जाये जो दिव्यांगों के उपर पुलिस बल का प्रयोग करवा सकती है।
हिमालयन दिव्यांग कल्याण संस्था मंडी विरोध करती है और आने वाले चुनावों का बहिष्कार करेगी। दिव्यांगों को अनदेखा करने का खामियाज़ा सरकार को आगे आने वाले चुनावों में भुगतना पड़ेगा।