Today News Hunt

News From Truth

केंद्र के कृषि बिलों के खिलाफ किसानों को अपना संघर्ष रखना होगा जारी- राज्य के किसान बागवान हो लामबंद – दीपक राठौर

Spread the love

प्रदेश के किसानों बागवानों को आने वाले दिनों में कृषि विधेयकों के खिलाफ लामबंद होना होगा और अपने संघर्ष को जारी रखना होगा । ये बात राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रदेश संयोजक वह कांग्रेसी नेता दीपक राठौर ने शिमला में आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान कही । उन्होंने कहा कि कृषि विधेयकों के खिलाफ विरोध स्वरूप 28 दिसंबर से शिमला के रिज मैदान से धर्मशाला तक पदयात्रा की जिसमें 315 किलोमीटर का सफर तय किया और 5 जिलों सहित 17 विधानसभा क्षेत्रों में 12 जगह नुक्कड़ सभाएं आयोजित की । उन्होंने केंद्र के कृषि विधेयकों की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें औद्योगिक घरानों और पूंजी पतियों को लाभ पहुंचाने और आढ़तियों को खत्म कर किसानों की लूट का रास्ता साफ करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कृषि विधायकों की खामियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से महरूम रखा गया है और जब तक न्यूनतम मूल्य नहीं मिलता तब तक किसानों में उत्पादन को लेकर वह जोश नहीं रहेगा वही किसानों के पास कोर्ट में जाने की अनुमति का प्रावधान भी नहीं है जिससे किसानों की जमीन पर अवैध कब्जा होने की भी आशंका है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पूर्व की कॉंग्रेस सरकार के कार्यकाल में जिस कृषि विधेयक को लाया जा रहा था उसमें किसानों के हितों को ऊपर रखा गया था जबकि वर्तमान सरकार द्वारा पारित बिलो में किसानों की अनदेखी कर औद्योगिक घरानों के हितों को साधने का ही प्रयास किया गया है । उन्होंने केंद्र की किसान बीमा योजना पर भी सवाल उठाये और प्रदेश सरकार से बीते तीन वर्ष के लाभार्थी किसानों की सूची जारी करने की मांग की। राठौर ने कहा की किसानों से फसल बीमा योजना के तहत प्रीमियम तो हर साल वसूला जा रहा है लेकिन फसल बर्बाद होने के बाद उन्हें उसका मुआवजा नहीं दिया जा रहा। दीपक राठौर ने कहा कि केंद्र सरकार की मंशा हर तरफ से औद्योगिक घरानों को फायदा पहुंचाने की थी और यही वजह है कि आज पूरे देश के किसान और बागवान सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं । पत्रकार वार्ता के दौरान उनके साथ पद यात्रा के उनके सहयोगी रहे कपिल शर्मा और मनोज चौहान के अलावा कांग्रेस के मीडिया प्रभारी अरुणा अचल भी मौजूद रहीं ।

About The Author

You may have missed