हिमाचल प्रदेश में अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस का भव्य आयोजन – उद्यमिता विकास के प्रति सशक्त संकल्प

हिमाचल प्रदेश में आज अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस राज्यभर में विविध कार्यक्रमों के साथ उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री आर.डी. नज़ीम, आईएएस, अतिरिक्त मुख्य सचिव (उद्योग) उपस्थित रहे। उन्होंने राज्य के उद्यमियों, नीति-निर्माताओं तथा एमएसएमई क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य के आर्थिक विकास में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने जानकारी दी कि राज्य में अब तक 2 लाख से अधिक एमएसएमई उद्यम उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत हैं, जो लगभग 7.8 लाख लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने एमएसएमई इकाइयों और उनसे जुड़े हितधारकों के योगदान के लिए आभार व्यक्त करते हुए भविष्य में उन्हें सशक्त करने हेतु सामूहिक प्रयासों की अपील की।
उद्योग निदेशालय में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में निदेशक उद्योग, डॉ. यूनुस, आईएएस ने बैंक प्रतिनिधियों, विभागीय अधिकारियों और एमएसएमई प्रतिनिधियों को संबोधित किया। उन्होंने राज्यभर में एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने हेतु जारी रणनीतिक पहलों की जानकारी दी। उन्होंने नवाचार को प्रोत्साहन, वित्त, बाज़ार और संस्थागत सहायता तक पहुंच की मजबूती जैसे उपायों पर बल दिया। साथ ही उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर विभागीय अधिकारी राज्य व केंद्र सरकार की योजनाओं को एमएसएमई तक पहुंचाने और उनके प्रभावी क्रियान्वयन में जुटे हुए हैं, जिससे समावेशी औद्योगिक विकास और सतत प्रगति सुनिश्चित हो सके।
राज्य के विभिन्न जिलों में जिला उद्योग केंद्रों (DICs) और सिंगल विंडो क्लीयरेंस अथॉरिटीज़ (SWCAs) द्वारा भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर एमएसएमई की भूमिका को रेखांकित किया गया और राज्य तथा केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए गए।
राज्य ने कृषि-प्रधान अर्थव्यवस्था से निकल कर विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र में संतुलित विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। HP आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, द्वितीयक क्षेत्र का सकल राज्य घरेलू उत्पाद में योगदान 1950-51 में 7.41% से बढ़कर 1990-91 में 26.50% तथा 2023-24 में 39.98% हो गया है।
राज्य से निर्यात 2003-04 में ₹550 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में ₹19,185 करोड़ तक पहुंच गया है।
हिमाचल प्रदेश औद्योगिक निवेश नीति (HPIP) 2019 के तहत एमएसएमई इकाइयों को टैक्स में छूट, ब्याज अनुदान, औद्योगिक भूखंड के लिए ब्याज-मुक्त 8 समान वार्षिक किश्तों जैसी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में राज्य की रैंकिंग 17वें स्थान से सुधर कर 7वें स्थान पर पहुंची है। यह 180 से अधिक ऑनलाइन सेवाओं और सेल्फ-सर्टिफिकेशन की सुविधा के चलते संभव हुआ है।
राज्य में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र तेज़ी से विकसित हो रहा है। अब तक 407 स्टार्टअप इनक्यूबेट हो चुके हैं, जिनमें से 107 का व्यवसायीकरण किया जा चुका है। आईआईटी मंडी और आईआईएम सिरमौर जैसे संस्थानों में 14 इनक्यूबेशन सेंटर कार्यरत हैं।
RAMP कार्यक्रम के तहत ₹109 करोड़ की राशि डिजिटल परिवर्तन, सतत विकास, ग्रामीण क्षेत्रों में प्री-इनक्यूबेशन, और TReDS जैसी योजनाओं के माध्यम से एमएसएमई प्रदर्शन को बेहतर बनाने हेतु आवंटित की गई है।
औद्योगिक अवसंरचना को बढ़ावा देने हेतु बद्दी और ऊना में फार्मा लैब, एमएसएमई टेक्नोलॉजी सेंटर, गैस पाइपलाइन कनेक्टिविटी, कौशल विकास केंद्र तथा पुरुष एवं महिला हेतु वर्किंग हॉस्टल जैसी सुविधाएं सुलभ कराई जा रही हैं।