प्रदेश भर में मजदूर संगठन सीटू व हिमाचल किसान सभा ने मनाया भारत बचाओ दिवस – हज़ारों मजदूरों व किसानों ने किया जोरदार प्रदर्शन
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच व संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर मजदूर संगठन सीटू व हिमाचल किसान सभा ने हिमाचल प्रदेश के जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन करके भारत बचाओ दिवस मनाया। इस दौरान प्रदेश भर में हज़ारों मजदूरों व किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किए। ये प्रदर्शन शिमला,रामपुर,रोहड़ू,निरमण्ड,ठियोग, टापरी,सोलन,अर्की,पौंटा साहिब,कुल्लू,आनी,सैंज,बंजार, मंडी,जोगिंद्रनगर,सरकाघाट,बालीचौकी,हमीरपुर,धर्मशाला, चम्बा,ऊना आदि में किए गए।
हिमाचल किसान सभा राज्य महासचिव डॉ ओंकार शाद,सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,जनवादी महिला समिति राज्य महासचिव फालमा चौहान,डीवाईएफआई राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बलबीर पराशर,एसएफआई प्रदेश सचिव अमित ठाकुर व दलित शोषण मुक्ति मंच संयोजक जगत राम ने संयुक्त बयान जारी करके कहा है कि कोविड महामारी को केंद्र की मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के लिए लूट के अवसर में तब्दील कर दिया है। कोरोना काल में किसान विरोधी तीन कृषि कानून, मजदूर विरोधी चार लेबर कोड,बिजली विधेयक 2020,सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण,नई शिक्षा नीति,भारी बेरोजगारी,महिलाओं व दलितों पर बढ़ती हिंसा इसके प्रमुख उदाहरण हैं। सरकार के ये कदम मजदूर,किसान,कर्मचारी,महिला,युवा,छात्र व दलित विरोधी हैं तथा पूंजीपतियों के हित में हैं। कोरोना काल में पिछले दो वर्षों में लगभग पन्द्रह करोड़ मजदूर रोज़गार से वंचित हो चुके हैं परन्तु सरकार की ओर से इन्हें कोई मदद नहीं मिली। इसके विपरीत मजदूरों के 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार लेबर कोड बना दिये। हिमाचल प्रदेश में पांच हज़ार से ज़्यादा कारखानों में कार्यरत लगभग साढ़े तीन लाख मजदूरों के काम के घण्टों को आठ से बढ़ाकर बारह कर दिया गया। इसी दौरान किसानों के खिलाफ तीन काले कृषि कानून बना दिये गए। सरकार किसानों को फसल का समर्थन मूल्य की मांग को पूर्ण करने से पीछे हट रही है। हिमाचल प्रदेश में मक्की व धान खरीद के सरकारी केंद्र तक नहीं हैं। जनता भारी महंगाई से त्रस्त है। खाद्य वस्तुओं,सब्जियों व फलों के दाम में कई गुणा वृद्धि करके जनता से जीने का अधिकार भी छीना जा रहा है। पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस की बेलगाम कीमतों से जनता का जीना दूभर हो गया है। इन भारी कीमतों के कारण देश की तीस प्रतिशत जनता पिछले एक वर्ष में रसोई गैस का इस्तेमाल करना बंद कर चुकी है।
उन्होंने केंद्र सरकार से किसान व मजदूर विरोधी कानूनों को वापिस लेने की मांग की है। उन्होंने प्रति व्यक्ति 7500 रुपये की आर्थिक मदद,सबको दस किलो राशन,सरकारी डिपुओं में वितरण प्रणाली को मजबूत करने व बढ़ती महंगाई पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार भी केंद्र सरकार की तर्ज़ पर कार्य कर रही है।