मॉनसून सत्र की हंगामेदार शुरुआत, विपक्ष ने सत्र के पहले ही दिन कानून व्यवस्था के मुद्दे पर किया वाकआउट
प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र की शुरूआत विपक्ष के वाकआउट से हुई। विपक्षी दल भाजपा ने राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर नियम 67 के तहत लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की अनुमति न मिलने के विरोध में सदन से वाकआउट किया।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सदन में शोकोद्गार के तुरंत बाद कानून व्यवस्था का मामला उठाते हुए कहा कि विपक्ष ने इस मुद्दे पर नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव का नोटिस किया है और सरकार तुरंत सदन का सारा कामकाज रोककर प्रदेश में बिगड़ रही कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा करवाए। उन्होंने बद्दी में हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि दो गुटों में पैसे के लेनदेन को लेकर झगड़ा हुआ, जिसमें एक युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई, जबकि दो युवक अस्पताल में दाखिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऐसी घटना आज से पहले कभी नहीं हुई।
जयराम ठाकुर ने कहा कि कानून व्यवस्था आज प्रदेश के लिए चिंता का विषय बन गई है और सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है। कभी कोर्ट परिसर में गोलियां चलती है तो कभी बेरहमी से युवक की हत्या कर दी जाती है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में ड्रग माफिया, खनन माफिया, कांट्रेक्ट माफिया और वन माफिया पूरी तरह से सक्रिय है। लेकिन सरकार इस पर गंभीर नहीं है। इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकार ने 25 पुलिस अफसरों को पुलिस मुख्यालय में केवल लीव रिजर्व बनाकर बिना काम के बिठा रखा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने अपनी अधिकांश पुलिस को विधायकों और सीपीएस की रखवाली के लिए पायलट और एस्कार्ट के रूप में लगा रखा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति पर सदन में तुरंत चर्चा की जाए।
संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव का यह कहते हुए विरोध किया कि भाजपा विधायकों ने नियम 130 के तहत कानून व्यवस्था पर चर्चा दे रखी है। इसलिए इस मुद्दे पर नियम 67 के तहत चर्चा का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर चर्चा से कोई एतराज नहीं है। सत्र बहुत लंबा और हम चर्चा को कभी भी तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नियम 67 बहुत एमरजेंसी के लिए है और बद्दी में घटी घटना इतनी महत्वपूर्ण नहीं है कि सदन की सारी कार्यवाही स्थगित कर इस पर चर्चा की जाए। उन्होंने कहा कि विपक्ष सिर्फ सुर्खियों में बने रहने के लिए यह मुद्दा उठा रहा है।
विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि प्रदेश में आपराधिक मामलों में तीन गुणा बढ़ोतरी हुई है और सरकार कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं है।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने इस मुद्दे पर व्यवस्था देते हुए कहा कि वह इस मामले को सत्र के दौरान बाद में चर्चा के लिए लाएंगे और फिलहाल वह विपक्ष के नियम 67 के तहत लाए गए चर्चा के नोटिस को रद्द कर रहे हैं।
इसके बाद पूरा विपक्ष अपनी सीटों पर खड़ा हो गया और शोरगुल करने लगा। बाद में पूरा विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चला गया।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने पर कहा कि बद्दी में हुई घटना ड्रग माफिया के दो गुटों के बीच की घटना है और विपक्ष द्वारा ड्रग माफिया से जुड़ी इस घटना पर सदन में चर्चा लाना शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि इनमें से एक गैंग हरियाणा से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि ड्रग माफिया से जुड़े लोगों की मौत पर सदन में चर्चा नहीं होनी चाहिए। क्योंकि सदन उच्च परंपराओं और नियमों से चलता है। उन्होंने कहा कि गुडों पर इस विधानसभा में चर्चा हो, ऐसा पहली बार हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश इस समय आपदा की विकट स्थिति से गुजर रहा है, इसलिए आपदा पर चर्चा होनी चाहिए, न कि गुंडों पर। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार में आपराधिक घटनाओं में सख्त से सख्त कार्रवाई की गई है।
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विपक्ष द्वारा कानून व्यवस्था पर स्थगन प्रस्ताव लाने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि विपक्ष का दिवालिया निकल गया है। उन्होंने कहा कि दो गैंग की लड़ाई पर विपक्ष स्थगन प्रस्ताव ला रहा है, जो निंदनीय है। उन्होंने कहा कि जो घटना हुई है, वह आईसोलेशन में हुई है। उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि विपक्ष को दुख इस बात का है कि कांग्रेस के फिर से 40 विधायक हो गए हैं। उन्होंने विपक्ष को अपने व्यवहार पर मंथन करने और रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि गैंगवार पर इस सदन में चर्चा की इजाजत न देना सही है। अग्निहोत्री ने विपक्षी सदस्यों में तालमेल न होने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष नियम 67 के तहत कानून व्यवस्था पर प्रस्ताव ला रहे हैं, जबकि इसी मुद्दे पर भाजपा विधायकों ने नियम 130 के तहत चर्चा का नोटिस विधानसभा को दिया है।