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सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ने कांग्रेस पर बाबा साहेब के संविधान की आत्मा पर प्रहार के लगाए आरोप,कहा-भाजपा ने बाबा साहेब की विरासत को सहेज कर दिया पूरा सम्मान

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पूर्व केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने आज बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सम्मान में भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित डॉ. भीमराव अंबेडकर सम्मान अभियान के अन्तर्गत मंडी ज़िले के सुंदरनगर में जनसभा के माध्यम से राष्ट्रनिर्माण में संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी के कार्यों पर प्रकाश डाला।

अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि “ बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने संविधान देकर भारत गर्व के साथ प्रगति पथ पर आगे बढ़ने का मार्ग दिखाया था मगर कांग्रेस पार्टी ने आज़ादी के बाद से ही भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी के दिए संविधान की आत्मा पर प्रहार कर इसे ख़त्म करने के अनेकों प्रयास किए हैं। नेहरू जी एक बाद एक करके बाबा साहेब के संविधान में संशोधन करते चले गये क्योंकि उन्हें हज़म ही नहीं हुआ कि कैसे एक ग़रीब व अनुसूचित परिवार में जन्मे व्यक्ति ने भारत को संविधान देने का काम किया। इंदिरा गांधी के शासनकाल में तो आपातकाल लगा कर्व संविधान को तार-तार कर दिया गया। एक तरफ़ तो आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बाबा साहेब के सपनों का भारत बनाने के लिए कार्यरत हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ आज़ादी के समय से ही कांग्रेस बाबा साहेब को अपमानित करने व उनका प्रतिनिधित्व मिटाने के लिए काम करती रही। कांग्रेस ने संविधान सभा तक बाबा साहेब के जाने की राह में रोड़े अटकाए। बाबा साहेब को बंगाल से संविधान सभा जाने से रोकने के लिए कांग्रेस ने सारे हथकंडे अपनाए और उनके चुनाव क्षेत्र को पाकिस्तान को दे दिया बाद में पुणे से हिंदू महासभा नेता एमआर जयकर ने अपनी सीट ख़ाली कर बाबा साहेब को दी जिससे वो संविधान निर्माण में अपनी भूमिका निभा सके”

अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा “ बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को दो लोकसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था. दोनों बार उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी ने ही हराया था. खास बात ये है कि इन दोनों चुनाव में ही तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अंबेडकर के खिलाफ चुनाव प्रचार किया था. कांग्रेस ओर अंबेडकर में शुरुआत से ही वैचारिक मतभेद थे, जो समय-समय पर सामने आते रहते थे. 1952 के आम चुनावों में बॉम्बे नॉर्थ सेंट्रल से चुनाव लड़ा था। अशोक मेहता के नेतृत्व वाली सोशलिस्ट पार्टी ने उनका समर्थन किया था। कांग्रेस ने उन्हें हराने के लिए अज्ञात उम्मीदवार नारायण कजरोलकर को उम्मीदवार बनाया। इस सीट से अंबेडकर कांग्रेस के नारायण काजरोलकर से 15,000 वोटों से हार गए। इतना ही नहीं, हार के बाद अंबेडकर ने नतीजों पर सवाल उठाए। बाबा साहेब के अनुसार कुल 74,333 मतों को खारिज कर दिया गया और उनकी गिनती नहीं की गई जिसके लिये उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त के समक्ष याचिका भी दायर की। 1954 में बाबा साहेब ने दूसरा चुनाव महाराष्ट्र के भंडारा निर्वाचन क्षेत्र से लड़ा था। नेहरू की निजी दिलचस्पी के चलते वो इस बार कांग्रेस उम्मीदवार से करीब 8,500 वोटों से हार गए। बाबा साहेब की इस हार पर समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण ने भी चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाया था। ख़ुद नेहरू ने एडविना माउंटबेटन को लिखे पत्र में गर्व से बताया था कि कैसे उन्होंने अंबेडकर को संसद में चुने जाने से रोकने में अपनी भूमिका निभाई थी”

अनुराग सिंह ठाकुर में कहा “ 1951 में नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा देते हुए बाबा साहेब ने कहा था कि नेहरू उन्हें आर्थिक नीतियों और कैबिनेट संस्थानों से दूर रखने का हरसंभव प्रयास किया और दलितों के मुद्दे की उपेक्षा कर सारा ध्यान मुस्लिम तुष्टिकरण पर दिया। बाबा साहेब कश्मीर मुद्दे और नेहरू की विदेश नीति का पुरज़ोर विरोध करते थे। कांग्रेस ने बाबा साहेब के महापरिनिर्वाण के बाद दिल्ली में उनकी अंत्येष्टि की अनुमति नहीं दी बल्कि उनकी पार्थिव देह को मुंबई ले जाने के लिए कोई राजकीय विमान भी नहीं दिया।कांग्रेस ने तो उनके दिल्ली स्थित आवास को स्मारक घोषित करने से भी इंकार कर दिया था जिसे 2018 में में मोदी सरकार ने श्रद्धांजलि स्थल के रूप में राष्ट्र को समर्पित किया। कांग्रेस तो पूर्वी पाकिस्तान से आये शरणार्थियों का पुनर्वास करने में भी विफल रही थी। इन समुदायों को वास्तविक लाभ मोदी सरकार के 2019 में लाये CAA क़ानून से मिला”

अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा “बाबा साहेब अंबेडकर की जन्मस्थली, शिक्षस्थली, दीक्षा स्थली और उनसे जुड़े सभी स्थलों का पंच तीर्थ के रूप में विकास किया है। यह हमारी ही सरकार है जिसने संविधान दिवस मनाया और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में घोषित किया। बाबा साहब को भारत रत्न भी गैर कांग्रेसी सरकार में मिला। प्रधानमंत्री मोदी जी ने दिल्ली में डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर का निर्माण करवाया ताकि उनमें श्रद्धा रखने वाले करोड़ों भारतीय आकर उनके बारे में जान सकें। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने खुद को भारत रत्न से सम्मानित किया, राजीव जी को कांग्रेस सरकार में भारत रत्न मिला लेकिन बीआर अंबेडकर जी को उनके निधन के बाद भी भारत रत्न नहीं दिया। Y ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की बजाय ख़ुद को भारत रत्न देने का काम किया। जब केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी तो अटल जी के अनुरोध पर उस सरकार ने बाबा-साहेब को भारत रत्न देकर उनका सच्चा सम्मान किया”

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