निजी स्कूलों की मनमानी से तंग आ चुके हैं अभिभावक, सरकार बनी है मूकदर्शक, शिमला के एक स्कूल ने बढ़ा दी 8000 रुपए फीस
राजधानी शिमला के निजी स्कूलों की बढ़ती निरंकुशता और मनमानी से बच्चों और उनके अभिभावकों की परेशानी बढ़ती जा रही है । आम जनता पिछले लंबे समय से इन स्कूलों पर नकेल कसने की मांग करती आई है और सरकार भी इस पर एक कानून बनाने की बात करती रही लेकिन न तो कानून बना और न ही इन स्कूलों पर किसी तरह की नकेल कसी गई, नतीजा यह हो रहा है कि यह स्कूल जब चाहे तब और जितनी चाहे उतनी फीस बढ़ा रहे हैं । वहीं दूसरी ओर बच्चों की सुविधा के नाम पर एक बड़ा शून्य है । अधिकतर स्कूलों में न तो खेलने के लिए ग्राउंड उपलब्ध है और न ही किसी तरह की कोई अन्य गतिविधियां होती है । शिमला के दयानंद पब्लिक स्कूल की भी कमोबेश यही हालत है यह स्कूल अपनी मनमाने निर्णय के लिए हमेशा से चर्चा में रहता है । इस बार स्कूल ने फीस बढ़ोतरी कर फिर सुर्खी बटोरने का काम किया है । डी पी एस स्कूल ने 100, 200 या हजार नहीं बल्कि एक साथ सालाना ₹8000 के करीब फीस वृद्धि की है जिससे यहां पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों के माथे पर शिकन आना स्वभाविक है । पहले से ही महंगाई की मार झेल रही जनता को स्कूल के इस फैसले से अब अपनी जेब और ढीली करनी पड़ रही है ।
बच्चों के अभिभावक स्कूल प्रशासन के इस फैसले से काफी चिंतित हैं । अभिभावकों का कहना है कि स्कूल फीस में बढ़ोतरी पर बढ़ोतरी कर रहा है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि प्राइवेट स्कूल को लेकर लाया गया बिल भी नेताओं के कहने पर दबा दिया गया यह बिल 2019 से लंबित पड़ा है जो सरकार की मिलीभगत के चलते विधानसभा में नहीं लाया जा रहा। कहा यह जा रहा था कि अभी उसमें कुछ संशोधन किए जाने हैं । निजी स्कूलों पर शिकंजा कसने में देरी के के चलते बच्चों के अभिभावक आक्रोश में है । अभिभावकों ने राज्य सरकार से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है ।