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शिमला के IGMC अस्पताल में एक मरीज की मौत पर गरमाई सियासत,भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप ने राज्य सरकार की जमकर की मजम्मत

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भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने कहा कि प्रदेश सरकार को हिमाचल की जनता बारे कोई चिंता नहीं है, उनकी तरफ से जनता की जान की कोई कीमत नहीं है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के एक कैंसर रोगी की मौत के बाद मामला सीएम हेल्पलाइन में पहुंच गया है। जिससे हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल गई। सीएम हेल्पलाइन को दी शिकायत में परिजनों ने इंजेक्शन न मिलने से रोगी की मौत होने का आरोप लगाया है। यह प्रदेश सरकार के लिए शर्म की बात है, पूर्व भाजपा सरकार ने अनेकों ऐसी योजनाओं की शुरुआत की थी जिसे जनता को बहुत फायदा हुआ था। जेब में एक रु भी ना हो तब भी व्यक्ति अपना इलाज करवा सकता था पर, शायद इस सरकार को वह जनकल्याणकारी योजनाएं पसंद नहीं आई।
उन्होंने कहा कि कैंसर रोगी हिमकेयर योजना के तहत पंजीकृत था लेकिन अस्पताल में रोगी को इंजेक्शन नहीं मिला। बीते माह रोगी की मौत हो गई थी। रोगी की बेटी जाह्नवी शर्मा ने सीएम हेल्पलाइन पर इस संबंध में शिकायत की है। आरोप है कि हिमकेयर में पंजीकृत होने और उसमें राशि होने के बावजूद उसके पिता देवराज को इंजेक्शन नहीं मिला। जाह्नवी ने सीएम हेल्पलाइन पर इस कोताही के लिए जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है। भाजपा मृतक के परिवार के साथ है, सरकार द्वारा हस्पताल प्रशासन के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।
मृतक के परिवारजनों ने आरोप लगाया है कि उनके पिता को आईजीएमसी के डॉक्टर ने 13 नवंबर को एक जरूरी इंजेक्शन लगवाने के लिए कहा था। आईजीएमसी प्रबंधन के बार-बार चक्कर काटने के बाद भी इंजेक्शन नहीं मिला। इंजेक्शन की कीमत करीब 50 हजार रुपये थी। परिवार की आर्थिक हालत इतनी अच्छी नहीं है कि वह इंजेक्शन खरीद पाए। लिहाजा 3 दिसंबर को उनके पिता की मौत हो गई।
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में मरीजों की एंजियोग्राफी बंद हो गई है। इस वजह से कार्डियोलॉजी विभाग में उपचार करवाने आ रहे मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। हिम केयर और प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का पांच लाख तक मुफ्त में उपचार होता है। लेकिन मेडिकल स्टोरों के संचालकों को इन योजनाओं के लंबित बिलों का भुगतान न होने से संचालकों ने अब सामान देने से मना कर दिया है। इस कारण आईजीएमसी में एंजियोग्राफी बंद हो गई है। इन मरीजों के चिकित्सकों ने केस बना रखे थे लेकिन एंजियोग्राफी बंद होने से अब उनके केस रद्द करने पड़े हैं।

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