आस्था की ऐसी अनूठी मिसाल देखकर खड़े हो जाते हैं रोंगटे,बाल बांका भी नहीं कर सकते धधकतेआग के शोले
मंडी जिला में गोहर उपमंडल के अंर्तगत कटलोग नामक स्थान पर हर वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टिमी के दिन गुग्गा मेले का आयोजन किया जाता रहा है। इसके लिए मेला परिसर में लंबे चौड़े लकड़ियों के कुंड का आयोजन किया जाता है। इसमें करीब 2 से 3 क्विंटल पक्की लकड़ी को जलाकर अंगारे तैयार किए जाते हैं। परिसर में गुग्गा जाहर पीर की आरती के बाद पुजारी लकड़ी जलाते हैं जिसे कुंड भी कहा जाता हैं। मेले में क्षेत्र के लगभग सभी गुग्गा टोलियां कटलोग नामक स्थान पर एकत्र होती हैं जिन्हें देखने लोग भारी संख्या में एकत्र होने लगते हैं। सबसे पहले गुग्गा टोलियां पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ सामुहिक गुग्गा गीतों की नॉन स्टॉप गीत माला का व्याख्यान करते हुए लोगों का खूब मनोरंजन करती है। उसके बाद शुरू होती है झांकी प्रदर्षन व रछया कला। सबसे पहले मेले में आए गुग्गा अनुयायीओं की अग्निपरीक्षा होती है। मेले में आए लगभग सभी गुग्गा समूह अपनी पारी का इंतजार करते हुए दहकते कुंड में नंगे पैर प्रवेष करते हैं। हैरानी की बात ये है कि दहकते कुंड में चलने के पश्चात भी किसी के पैर तक नहीं जलते।
आप इसे आस्था कहिए या अंधविश्वास लेकिन जलते अंगारों और पीठ पर सांगलों की मार का भी इन लोगों कोई असर नहीं पड़ता है। इस पर जब हमने मेला आयोजक दिनेष पहाड़िया से बात की तो उन्होंने बताया कि मेला कमेटी सिर्फ मनोरंज की दृष्टि से मेले का आयोजन करवाती है। मेले में आए गुग्गा अनुयायीओं को पहले ही आगाह करवाया जाता है कि जलते कुंड में नंगे पैर प्रवेष न करें। लेकिन गुग्गा भक्तों मंे विद्यमान आलौकिक शक्ति न जाने कहां से प्रकट हो जाती है जो इन्हें धधकते कुंड में जाने पर विवष कर देती है। उन्होंने इस बात पर हैरानी जताते हुए व्यक्त किया कि इनके पैर पर छालें तो क्या खरोच भी नहीं पड़ती जो कि अपने आप में एक चिंतन का विषय है।
वहीं मेले में आए कुछ गुग्गा भक्त सरकार से भी खफा नजर आए। उनका मानना था कि सरकार की अनदेखी के कारण आज गुग्गा संस्कृति लुप्त होने की कगार पर खड़ी है। सरकार को चाहिए कि इस पौराणिक परंपरा को बनाए रखने के लिए गुग्गा अनुयायीओं को प्रोत्साहित राषि से सम्मानित किया जाना चाहिए ताकि कुछ हद तक प्रोत्साहित किया जाए। हालांकि मेले के आयोजक उन्हें सम्मान के तौर पर कुछ राषि वितरित करते हैं जिससे गुग्गा अनुयायी के चेहरे पर नाममात्र प्रषन्नता झलक पड़ती है।
गोहर से हरीष चौहान की रिपोर्ट