शिमला शहर में सार्वजनिक शौचालयों में पुरुषों से 5 रुपए बतौर शुल्क वसूलने की तैयारी पर नगर निगम ने लिया यूटर्न, भाजपा बैठे बिठाए मिले इस मुद्दे पर बोला तीखा हमला
बीते कल शिमला नगर निगम की बैठक में राजधानी के सार्वजनिक शौचालयों में महिलाओं की तरह पुरुषों से भी लघुशंका (urine) के लिए पांच रुपये का शुल्क वसूल करने पर हुई गहन चर्चा और इसको लागू करने की तैयारियों के बाद नगर निगम ने यूटर्न लेने में ही अपनी भलाई समझी है । लेकिन इस मामले में भाजपा को कांग्रेस की नगर निगम ने बैठे बिठाए एक मुद्दा दे दिया । भाजपा ने भी इसे हाथों हाथ लेने में देरी नहीं की । भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने अपने मुख्यमंत्री की तर्ज पर एक और टैक्स या शुल्क हिमाचल की जनता पर लगाया है और अब तो यह शिमला की जनता पर भी लग गया है, जब मुख्यमंत्री जी बार-बार कहते थे कि भाई टॉयलेट टैक्स एक्जिस्ट नहीं करता है। तो आज इसी सरकार के महापौर ने दिखा दिया है कि वो एजिस्ट करता है और भाजपा झूठ नहीं बोल रही थी। हम इस प्रकार के मुद्दे उठाना नहीं चाहते पर कांग्रेस के नेता हमें मजबूर कर देते कि हम जनता की आवाज बनकर सामने आए, हमारी ऐसी कोई मंशा नहीं है पर कुल मिलाकर अगर आप देखेंगे कल मैं सुन रहा था कि शिमला शहर के महापौर जी क्या बोल रहे थे और महापौर जी ने जिस प्रकार आप सबके साथ इस विषय को सांझा किया तो जेंडर इक्वलिटी से उन्होंने बात शुरू की थी, पर जेंडर इक्वलिटी के साथ आप जनता के ऊपर एक बोझ भी डालने का प्रयास कर रहे हैं और साथ में आप लोकल जनता पर इन्होंने 30 या 32 शौचालयों का जिक्र किया वहां पर शौचालय शुल्क लगाएंगे। उन्होंने कहा कि वहां पर जो व्यवसाय एवं कर्मचारी काम कर रहे हैं और जो लोग आते हैं उनको आप असुविधा भी दे रहे हैं, जिस व्यक्ति की दुकान वहां पर है और वह 12 घंटे उस दुकान में दुकानदारी करता है तो उसके ऊपर इस शुल्क को एक प्रकार का को टैक्स ही माना जाए। महापौर शुल्क बोलने का प्रयास कर रहे हो जेंडर इक्वालिटी दोनों प्रकार से हो सकती थी, आप महिलाओं के ऊपर जो शुल्क लगाते हैं वो कम एवं समाप्त भी कर सकते थे। जो जनता के लिए बनी लोकल निकाइयां होती है, चाहे वह लोकल बॉडीज जैसे म्युनिसिपल कॉरपोरेशन हो चाहे नगर परिषद हो या सरकार हो आपका परमो धर्मा यह होता है कि जनसेवा कर सके, तो अच्छा होता कि अगर आप महिलाओं के ऊपर जो 5 रु का शुल्क लगता है उसको आप रोल बैक करते। तो यह स्वागत योग्य होता पर, कांग्रेस के महापौर एक स्कैनर लगा के वहां पर जो टूरिस्ट आ रहा है उसको भी अगर आप इस प्रकार का टैक्स लगाकर शर्मिंदा करके जी पे में माध्यम से पैसे एकत्र करेंगे तो जब एक पर्यटक शिमला से जाकर अपनी बैंक स्टेटमेंट देखेगा तो उसमें सुलभ शौचालय लिखा आएगा , एक नजर से शिमला और हिमाचल प्रदेश अच्छे टूरिजम के लिए लड़ रहा है, जिसमें आप टूरिजम के लिए फैसिलिटी जनरेट नहीं कर पा रहे हैं। प्रदेश में टूरिस्ट धीरे धीरे घट रहा है और यह तो कुदरत की देन थी कि बर्फ पड़ी टूरिस्ट बढ़ गया पर आप इस प्रकार के जो तुगलकी फरमान निकालेंगे तो यह अच्छा नहीं है। इसके ऊपर मैं सुन रहा था कि महापौर ने हाई कोर्ट का जिक्र भी किया, हम आदरणीय हाई कोर्ट का पूरा मान सम्मान करते हैं पर हाई कोर्ट ने जनर इक्वालिटी की बात की थी और जनरल क्वालिटी में मैंने आपको रास्ता बता दिया था कि आप 5 रु महिलाओं से ले रहे थे उसको आप वापस ले लीजिए, उसमें आपका कुछ नहीं घटेगा पर आपको 5 रु पुरुष शौचालय पर लगाने की आवश्यकता पड़ गई। दूसरा हाई कोर्ट की आड़ में यह कांग्रेस के नेता सरकार, एमसी एवं परिषद कब तक चलेगी अगर आपने हाई कोर्ट की आड़ में 18 होटलो को बेचना सुनिश्चित कर दिया था तो वो होटल बेच देते ना, आप भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे देते। पर उसके बाद आपने खुद ही यू टर्न लेना पड़ गया और खुद ही जो है आपने बोला कि नहीं हम इसको जो है चांस देंगे। कांग्रेस ने कहा की हम इन होटलों की बैलेंस शीट्स मंगवाए, उसके बाद वो कितना बड़ा मजाक का मुद्दा बना था हाई कोर्ट के आड़ में आप हिमाचल भवन तक कुड़की करने चले गए थे, अरे बाबा हर चीज जो है हाई कोर्ट की आड़ में नहीं की जाती। नंदा ने कांग्रेस को नसीयत देते हुए कहा की आप अपने विवेक का इस्तेमाल कीजिए ना, आप तो ऐसे हो गए जैसे आप सर्वे सर्वा नेता हो गए कि जो आपने कर दिया तुगलकी फरमान की तरह आप लागू कर देंगे। यह स्टूडेंट पॉलिटिक्स नहीं है, स्टूडेंट पॉलिटिक्स से उठिए आप जनता के बीच में जनता के डोमेन में का कर रहे है, उसमें रहकर आप काम कीजिए, अच्छा लगेगा एक बार जनता के फेवर में फैसला तो लेकर देखिए उसका आनंद आ जाएगा।
आपने प्रदेश में एक जन विरोधी निर्णयों की श्रंखला लगा दी है, हिमाचल प्रदेश में आपने पहले जो है टॉयलेट टैक्स लगाया फिर रोल बैक किया, उसके बाद आपने एचआरटीसी में कुकर और उस पर ले जाने की टिकट काटनी शुरू की थी जिसको लगजरी टैक्स कहते है वो वापस लिया, उसके बाद पेड़ के कटर पर रजिस्ट्रेशन करने का माध्यम खोल दिया, ऐसा कैसे हो गया अभी 40 साल से 100 साल से किसान पेड़ काट रहे हैं, अब अगर कोई कुल्हाड़ी से पेड़ काटने लगेगे तो पेड़ को काटने में कितना टाइम लगे।
उन्होंने कहा कि अब तो महापौर यू टर्न लेने पर आ गए हैं और फिर से एक बारी पलट गए हैं, अब कल जो उन्होंने बयान दिया है उसके विपरीत आज एक बयान जारी किया जिसमें वह नगर निगम से इस पूरे मुद्दे को सुलभ शौचालय को ट्रांसफर कर रहे हैं अब बताइए ना महापौर ने यू टर्न लिया कि नहीं लिया।
महापौर भी मुख्यमंत्री की पदचिन्हों पर चल रहे है।