शिमला रंगकर्मियों और साहित्कारों ने प्रख्यात साहित्यकार,शिक्षाविद व रंगकर्मी डॉ कैलाश आहलूवालिया को नम आंखों से दी श्रद्धांजलि, हर क्षेत्र में उनके योगदान को किया याद
प्रदेश के जाने-माने शिक्षाविद, रंगकमी और प्रख्यात साहित्यकार डॉक्टर कैलाश आहलूवालिया को गेयटी परिसर के सभागार में भाषा एवं संस्कृति विभाग, गेयटी रिपेट्री और शिमला के वरिष्ठ व नवोदित रंगकर्मियों ने नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की। 20 जनवरी को डॉक्टर आहलूवालिया के चंडीगढ़ में निधन की खबर से कला व साहित्य जगत में शोक की लहर फैल गई। शिमला डॉक्टर आहलूवालिया की कर्मभूमि रही है। यहां बहुत सी रंगमंच प्रतिभाओं को उनके सानिध्य नाटक में खेलने का मौका मिला। अनुपम खैर जैसे कलाकार को उन्होंने ही तराशा था। डॉक्टर आहलूवालिया ने उनके भीतर छुपी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) भेजने के पीछे भी उनका आशीर्वाद प्राप्त था। उनके सानिध्य में नवप्रकाश परिहार, अनिल शर्मा, मनदीप सिंह. राजीव शर्मा, शुभा भट्टाचार्य जैसी रंगमंच प्रतिभाओं ने शिमला रंगमंच को पुष्पित, पल्लवित करने का बीड़ा उठाया।
इस अवसर पर साहित्यकार व कला समीक्षक श्रीनिवास जोशी ने डॉक्टर आहलूवालिया को रंगमंच का पुरोधा बताते हुए अपने संस्मरण सांझा किए। साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को लेकर मीनाक्षी पाल ने उनके कृतियों पर प्रकाश डाला। उनके अंतरंग मित्र पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर योगेश गंभीर का मार्मिक संदेश प्रो० कमल मनोहर शर्मा ने पढ़कर सुनाया। प्रो० पी० के० आहलूवालिया अध्यक्ष. HPU Alumni Association ने उन्हें महान शिक्षाविद बताते हुए कहा कि वे छात्रों में बेहद लोकप्रिय थे, वे बहुत कम और धीमा बोलते थे जो उनके व्यक्तित्व को विशिष्ट बनाता था । शिमला के रंगकमी प्रवीण चांदला. जवाहर कौल, भारती कुठियाला, मोहन जोशी व केदार ठाकुर ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और भाषा एवं संस्कृत विभाग के निदेशक व गेयटी ड्रैमेटिक समिति का इस शोक सभा के आयोजन के लिए धन्यवाद प्रकट किया।