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स्वर्ण जाति आयोग के गठन की मांग ने पकड़ा जोर – सरकार को 90 दिन का अल्टीमेटम

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प्रदेश में सामान्य वर्ग के आयोग के गठन की मांग ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है सामान्य वर्ग संयुक्त मंच हिमाचल प्रदेश ने आज शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान साफ किया कि सरकारें और राजनीतिक पार्टियां लगातार सामान्य वर्ग की अनदेखी कर रही है । मंच के प्रदेशाध्यक्ष कामेश्वर सिंह जम्वाल ने कहा कि 1947 को देश के सभी वर्गों और जातियों को आजादी मिली थी लेकिन सामान्य वर्ग के वंचित लोग अभी भी गुलामी की जंजीरों में जकड़े हैं। उन्होंने सरकारों की ओर से सामान्य वर्ग की अनदेखी पर खेद जताते हुए कहा कि जातिगत आधार पर आरक्षण की वजह से सामान्य वर्ग के वंचित लोग लगातार पिछड़ते जा रहे हैं । उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आरक्षण जातिगत आधार की बजाय आर्थिक आधार पर होना चाहिए । उन्होने कहा कि वर्तमान में सामान्य वर्ग को जो आर्थिक आरक्षण दिया जा रहा है वह केवल मात्र छलावा है उसकी पात्रता पाना बेहद मुश्किल है और असंभव है । उन्होंने एट्रोसिटी एक्ट में किये यह के प्रावधानों की थी कड़ी आलोचना की और कहा कि बिना जलील और अपील के सामान्य वर्ग के साथ नाइंसाफी हो रही है और उन्हें न्याय पाने का मौलिक अधिकार तक नहीं है एट्रोसिटी एक्ट के तहत दी जा रही आर्थिक मदद पर भी उन्होंने सवालिया निशान उठाए और कहा कि इससे समरसता और भाईचारा खत्म हो रहा है जबरन धर्मांतरण करने का प्रयास किया जा रहा है और अंतरजातीय विवाह मैं पैसा देकर जातिगत भेदभाव बढ़ाने का सरकारी प्रयास कर रही है उन्होंने सामान्य वर्ग में आरक्षण प्राप्त लोगों के भाग लेने पर भी सवालिया निशान लगाए वर्तमान में पंचायत चुनाव में लागू रोस्टर पर सवालिया निशान लगाते हुए उन्होंने कहा कि इसमें सामान्य वर्ग की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है, वही आरक्षित वर्ग के लोग सामान्य वर्ग में भी चुनाव लड़ रहे हैं जबकि सामान्य वर्ग के लिए होने वाले चुनाव में आरक्षित वर्ग के लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह इस बात को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे आयोग के गठन पर कामेश्वर सिंह जमवाल ने कहा कि वे मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक का दरवाजा खटखटाएंगे और यदि आयोग का गठन नहीं किया गया तो पूरे देश में सामान्य वर्ग उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। वहीं मंच के प्रदेश व मोर्चा अध्यक्ष रूमित सिंह ठाकुर ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि सरकार ने यदि इसी तरह से अनदेखी जारी रखी तो उसे इसका बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा । सामान्य वर्ग का योग्य युवा खुद को छला हुआ महसूस कर रहा है और आरक्षण की बेड़ीयों से बाहर निकलकर विकास की ओर अग्रसर होना चाहता है, लेकिन राजनीतिज्ञ और राजनीतिक पार्टियां निजी हित साधने और वोट की राजनीति के चलते ऐसा नहीं होने देना चाहती। उन्होंने कहा कि सामान्य वर्ग को स्कूल से ही भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है । रमित ठाकुर ने साफ किया कि सामान्य वर्ग संयुक्त मंच स्वर्ण जाति आयोग के गठन के लिए सरकार को 90 दिन की मोहलत दे रहा है और यदि 90 दिनों के भीतर सरकार ने उचित कदम नहीं उठाया तो प्रदेश की राजधानी शिमला से स्वर्ण जाति मंच का उग्र आंदोलन शुरू होगा जो पूरे देश में चलेगा । उन्होंने कहा कि जब तक आयोग का गठन नहीं होता आंदोलन तब तक जारी रहेगा। मंच ने आर्थिक रूप से सम्पन्न अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों को आरक्षण से बाहर करने की भी मांग उठाई ताकि इस वर्ग के जरूरतमंद और वंचित लोग भी लाभान्वित हो सके ।

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