कुल्लू के दूर दराज गांव में देखते ही देखते,राख के ढेर में तबदील हुए तीन परिवारों के आशियाने सड़क न होने से गांव तक नहीं पंहुच पाई फायर ब्रिगेड़
आजादी के 74 साल वाद भी देश के कई ऐसे गांव हैं जो कि सड़क सुविधा व पानी से मेहरूम हैं। जिसका नतीजा आज गांव के लोगों को भुक्तना पड़ रहा हैं। जहां देश विदेश के लोग काष्टकुणी मकान को देखने आते थे आज वो आग की लपटों में राख हो रहे हैं।एक ओर सरकार सड़क को लकर बड़े- बड़े दावे करती हैं लेकिन धरातल पर हकीकत कुुुछ और ही बयां करती है।आज देउघरा गांव सड़क सुविधा से जुड़ जाता तो शायद तीन परीवरों को आश्यिाना वच जाता। अगर भ्रैण पंचायत के देउघरा गांव में वाहन चलने योग्य सड़क और पानी का टैंक होता तो रेवत राम और उसके साथ रह रहे दो भाईयों के परिवार आगजनी के शिकार नहीं होते और उनका आशियाना भी बच जाता। हमारे कुल्लू संवाददाता दिलीप ठाकुुुर ने बताया कि मकान में आग लगने की सूचना मिलते ही कुल्लू से फायर ब्रिगेड की गाड़ियां तो रवाना हो गई थी। लेकिन सड़क की खस्ता हालत होने के कारण वो भी आधे रास्ते तक ही पहुंच पाई और रेवत राम व उसके परिवार के आशियाने को आग की लपटों से बचा न सकी। हालांकि इस आगजनी में कोई जानी नुकसान तो नहीं हुआ लेकिन प्रभावित परिवारों की जीवन भर की जमा पुंजी आंगजनी में स्वाह हो गई।ऐसे में प्रशासन के द्वारा 39 लाख के नुकसान को आंकलन किया गया हैं। ये मकान तीन भाईयों के हैं जिसमें एक भाई की 7 साल पहले मृत्यु हो चुकी हैं, जिसके बीवी और बच्चा मकान में रहते थे।वहीं गांव के लोगों का कहना कि गांव में सड़क सुविधा और पानी के अभाव के चलते वे आग पर काबू नहीं कर पाए।उन्होने प्रशासन व सरकार से मांग की है
गांव में सड़क व पानी की व्यवस्था की जाए। इस हादसे में पशुओं के अलावा कुछ भी नहीं बचा पाए-
वहिं नायव तीसीलदार राम चंद नेगी ने बताया कि उन्होने खुद स्पाॅट को दौरा किया हैं इस आग जनी की घटना में कुछ भी नहीं बचा पाए हैं। इस तीन मजिंला मकान के 18 कमरों वाला मकान पुरी तर स ेजल गया हैं। इस में विभाग के द्वारा 39 लाख को नुकसान का आंकलने किया गया हैं।और इन्हें 10-1 हजार फोरी राहत भ्ी प्रान की है।
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