सर चढ़कर बोल रहा है प्रदेश के प्रख्यात साहित्यकार एस.आर.हरनोट की कलम का जादू , देश के विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में अब तक 13 कहानियां शामिल , पांच कहानियां इसी वर्ष जुलाई तक हुई सम्मिलित
हिमाचल के प्रख्यात लेखक एस आर हरनोट की कलम का हर कोई कायल है । उनकी सभी कहानियां आम जन मानस के दिल को इस कदर छू लेती है कि उसे वो अपने ऊपर लिखी कहानी समझता है । यही वजह है कि एस आर हरनोट की कहानियां देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के बी.ए., एम ए और पीएचडी के पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जा रही है। इस वर्ष केवल छः महीने के अंतराल में उनकी पांच कहानियां पाठ्यक्रमों में लगी है जिनमें “नदी गायब है” डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय छत्रपति संभाजीनगर, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, “बिल्लियां बतियाती हैं” मुंबई विश्वविद्यालय में, इसी सप्ताह कोलकाता विश्वविद्यालय में “भगादेवी का चायघर” और
गुरुकाशी यूनिवर्सिटी पंजाब में “आभी” कहानी पाठयक्रम में समिल्लित हुई है। एनसीआरटी द्वारा मां केंद्रित पुस्तक “रिश्तों की खिड़कियां” में उनकी “मां पढ़ती है” कहानी संग्रहित हुई है।
इससे पूर्व हरनोट की कहानियां केरल विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब, केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय नोएडा, जैन विश्वविद्यालय बैंगलुरु, बेंगलूरू सिटी विश्वद्यालय के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जा रही है। हिमाचल विश्वविद्यालय में गत वर्ष हरनोट की बहुचर्चित कहानी “जीनकाठी” एम.ए. में शामिल और जबकि “आभी” और “लाल होता दरख़्त” के अंग्रेजी अनुवाद बी.ए. पाठ्यक्रमों में पढ़ाए जा रहे हैं। केरल में तो उनकी कहानी एम.डॉट.कॉम प्लस टू में पढ़ाई जाती है।
इन विश्वविद्यालयों के सभी पाठ्यक्रम ऑन लाइन होते हैं जिनमें देश के बहुत से बड़े लेखकों के साथ एस आर हरनोट की कहानियों की सूचनाएं अंकित रहती है। विशेषकर हिमाचल के लिए, यहां के साहित्य के लिए यह गौरव की बात है, हरनोट के लिए तो यह बड़ा सम्मान है ही।
हरनोट हिमाचल के ऐसे पहले रचनाकार हैं जिनकी पुस्तकों पर अबतक बीस से अधिक एमफिल हो चुकी है। उनके साहित्य पर सात पीएचडी शोध पूर्ण हो चुके हैं और नौ पीएचडी शोध विभिन्न विश्वविद्यालयों में जारी हैं। इस तरह अब तक उन के साहित्य पर 16 पीएचडी शोध हुए हैं। हरनोट की कहानियां और उपन्यास तो विविध विषयों के अंतर्गत कई पीएचडी शोधों में शोध छात्रों ने शामिल किए हैं।
पुरस्कारों की फ़ेहरिस्त में देखें तो हरनोट को हिमाचल की सरकारों ने कभी किसी बड़े पुरस्कार के लिए योग्य नहीं समझा है जबकि प्रति वर्ष हिमाचल गौरव, राज्य और शिखर सम्मान लेखकों को बांटे जाते हैं। हरनोट को जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बड़ी विनम्रता से कहा कि देश और प्रदेश के विश्वविद्यालयों में उनकी कहानियां पाठ्यक्रमों में हैं, उन पर कितनी एमफिल और पीएचडी हो रही है, इससे बड़ा सम्मान तो जीवन में दूसरा नहीं हो सकता और यह भी तो हिमाचल प्रदेश की वजह से ही है।