प्रदेश शिक्षक महासंघ ने सभी एसडीएम के माध्यम से सरकार को भेजे मांग पत्र, मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से शिक्षकों की समस्याओं का सहानुभूति पूर्ण निवारण का किया आग्रह
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के तत्वावधान में हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के पदाधिकारियों ने आज प्रदेश के विभिन्न एसडीएम के माध्यम से शिक्षकों की समस्याओं के निवारण हेतु मांग पत्र सरकार को आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रस्तुत किया। प्रांत मीडिया प्रमुख शशि शर्मा ने बताया कि शिक्षकों की समस्याओं के निराकरण हेतु यह मांग पत्र सभी खंडों के खंड अध्यक्ष और खंड कार्यकारिणी के द्वारा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को सहानुभूति पूर्ण शिक्षकों की समस्याओं के निवारण के लिए कार्यवाही हेतु प्रस्तुत किया है।
शिक्षकों की प्रमुख मांगे इस प्रकार से हैं
अनुबंध कर्मचारियों को वर्ष में दो बार नियमित किया जाए ताकि उन्हें वरिष्ठता एवं वित्तीय नुकसान न हो,07-07-14 की अधिसूचना को रद्द कर 04-09-14 का लाभ 27-08-2009 की अधिसूचना के अनुसार सभी अध्यापकों को दिया जाए। वर्तमान में यह लाभ केवल माननीय उच्च न्यायालयों में गए शिक्षकों को ही दिया जा रहा है,शिक्षकों को नए वेतनमानों का एरियर शीघ्र दिया जाए,महंगाई भत्ते की लम्बित किश्तें शीघ्र दी जायें,नए वेतनमान के अनुसार भत्तों का निर्धारण कर शीघ्र प्रदान किया जाए,2010 से पहले नियुक्त टीजीटी को पदोन्नति में समान अवसर प्रदान किए जाएं। 2010 से पहले नियुक्त टीजीटी को जो 2010 से पहले पदोन्नत हुए उन्हें मुख्याध्यापक तथा प्रवक्ता दोनों की पदोन्नति के अवसर प्रदान किए गए जबकि 2010 के बाद हुए पदोन्नत टीजीटी को केवल मुख्याध्यापक या प्रवक्ता दोनों में से एक अवसर प्रदान किया जा रहा है अतः प्रवक्ता स्कूल न्यू के 1986 के भर्ती एवं पदोन्नति नियम बहालवी किए जायें, हिमाचल प्रदेश में नियुक्त अध्यापकों की डिग्री की वेरिफिकेशन शिक्षा विभाग स्वयं करवाए तथा अध्यापकों से इस वेरिफिकेशन के लिए पैसा न लिया जाए यदि ऐसे आदेश विभाग ने किए हों तो उन्हें तुरन्त प्रभाव से वापस लिया जाए,समग्र शिक्षा के अधीन आने वाली राशि को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक विद्यालय को एच.डी.एफ.सी. बैंक में अकाऊंट खोलने की शर्त को वापिस लिया जाए,
सभी महिला शिक्षकों चाइल्ड केयर लीव दी जाए, प्रधानाचार्य पद के लिए नियमित पदोन्नति की जाए। 2016 के बाद के सभी पदोन्नत प्रधानाचार्य को नियमित की जाए, योग्यता पूर्ण करने वाले डीपीई अध्यापकों को प्रवक्ता फिजीक्ल एजुकेशन का पदनाम दिया जाए तथा एक समान वेतन दिया जाए,300 अर्जित अवकाश पूरा होने के बाद मिलने वाले अर्जित अवकाश को भी
सेवाकाल में जोड़ा जाए अर्जित अवकाश के वित्तीय लाभ पूर्ववत ही रहे,10वीं तथा 12वीं कक्षाओं के बोर्ड प्रश्न पत्रों की भान्ति 9वीं व 11वीं कक्षा के प्रश्न पत्रों को ड्रॉपिंग सेंटर में दिया जाए, 20 वर्ष तक एक ही पद पर कार्य करने वाले सभी अध्यापकों को सी. एंड वी. अध्यापकों की तरह दो विशेष वेतनवृद्घियां दी जायें,विद्यालयों में होने वाली ग्रीष्मकालीन व अन्य छुट्टियों का सत्र के मध्य में बदलाव न किया जाए माध्यमिक पाठशाला में कला अध्यापक व पी.ई.टी. के पद कम से कम 100 संख्या वाले तथा वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में डी.पी.ई. के पदों का सृजन किया जाए,जे.बी.टी. सी.एंड.वी, टी.जी.टी. प्रवक्ता, मुख्याध्यापक व प्रधानाचार्य की वरिष्ठता सूची जारी की जाए,अनुबंध काल समाप्त किया जाए,जनजातिय क्षेत्रों व दुर्गम क्षेत्रों में जाने वाले शिक्षकों को मिलने वाला विशेष भत्ता बढ़ाया जाए ताकि शिक्षकों को इन क्षेत्रों में जाने के लिए प्रोत्साहित हों,टीजीटी हिन्दी व टीजीटी संस्कृत को टीजीटी के समान वेतन दिया जाए तथा उन्हें पदोन्नति के समान अवसर प्रदान किए जायें,शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष की जाए,प्रवक्ता स्कूल न्यू को अन्य प्रवक्ताओं की तरह +1 तथा +2 के अतिरिक्त अन्य कक्षाओं को पढ़ाने की शर्त को समाप्त की जाए,शिक्षा विभाग में कार्यरत कम्पयूटर शिक्षकों के लिए तर्कसंगत नीति बनाकर विभाग अपने अधीन ले,एस.एम.सी. अध्यापकों को तर्कसंगत नीति बनाकर नियमित किया जाए, समग्र शिक्षा के अधीन आऊटसोर्स पर नियुक्त वोकेशनल अध्यापकों तथा समग्र शिक्षा निदेशालय व डाईट में नियुक्त कर्मचारियों को समग्र शिक्षा के अधीन सोसाईटी में लाया जाए तथा आऊटसोर्स नियक्ति को खत्म किया जाए,शिक्षा हित व शिक्षा के उत्थान हेतु जगह जगह विद्यालय खोलने के स्थान पर वर्तमान में उपलब्ध विद्यालयों की स्थिति सुदृढ़ की जाए,प्रत्येक पंचायत में एक आदर्श विद्यालय खोला जाए जिसमें प्राथमिक विद्यालयों में प्रत्येक कक्षा के लिए एक अध्यापक तथा माध्यमिक, उच्च एवं वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में प्रत्येक विषय के लिए एक अध्यापक रखा जाए,सेवा लाभ एवं पदोन्नति के लिए पूर्व सेवाकाल, अस्थाई सेवा काल की गणना की जाए, विद्या उपासकों को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई 07 इंक्रीमेंट जो वर्ष 2000 से 2007 तक अभी तक लम्बित है उसे अविलम्ब जारी किया जाए,चिकित्सा सुविधा कैशलेस की जाए,पदोन्नति के समय गोपनीय रिपोर्ट मांगने की प्रथा खत्म कर गोपनीय रिपोर्ट ऑनलाइन की जाए,शिक्षकों को गैर शिक्षण कार्यों से मुक्त किया जाए व बीएलओ के कार्यभार से भी मुक्त किया जाए,राजीव गांधी आवासीय विद्यालय योजना के तहत खोले जाने वाले विद्यालयों को ग्रामीण क्षेत्रों में खोला जाए।
सभी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की वर्दी में एकरूपता लाई जाए,सभी डाईट संस्थानों में रिक्त डी.पी.ओ. तथा उप निदेशक के पदों को भरा जाए तथा रिक्त स्थानों पर वरिष्ठता के आधार पर डी.पी.ओ. व उपशिक्षा निदेशकों को कार्यभार दिया जाए,सभी विद्यालयों में गैर शिक्षक स्टाफ की नियुक्ति की जाए,टीजीटी से पीजीटी (आई पी) कों पदोन्नति के लिए पांच वर्ष के अनुभव की शर्त को वापस लिया जाए,सभी विद्यालयों में रिक्त चतुर्थ श्रेणी के पदों को मल्टीटॉक्स वर्कर के माध्यम से भरा जाए,छात्रवृत्ति का प्रभार गैर शिक्षक के अधीन करने की हुए व्यवस्था की जाए, निरीक्षण कैडर सहयोगी हो न कि भय पैदा करने वाला हो,हिमाचल प्रदेश में नियुक्त टीजीटी व डाईट संस्थानों को शिक्षा निदेशालय (उच्च शिक्षा) के अधीन लाया जाए, मुख्याध्यापकों ,प्रधानाचार्यों , खण्ड शिक्षा अधिकारियों , शिक्षकों की मॉडल कार्यशाला आयोजित हों जिसमें प्ररेणादायक प्रसंग तथा ऐसे विद्यालय जहां उत्कृष्ट कार्य हुआ हो वहां की गतिविधियों का विवरण तथा क्रियाकलाप उन्हें दिखाकर प्रेरित करें,एनटीटी शिक्षकों की भर्ती आऊटसोर्स पर न की जाए तथा विद्यालयों में सभी प्रकार के रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए।