इन दिनों प्रदेश भले ही शीतलहर की चपेट में हो और कड़ाके की ठंड हो लेकिन राज्य का राजनीतिक पारा उछाल पर है ।खास तौर पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के बीच एक जनसभा में मंच साझा करने के दौरान एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के बाद राजनीतिक गलियारे में एकाएक गर्मी आ गई । एक तरफ प्रदेश की भाजपा दो गुटों में बैठ गई वहीं दूसरी ओर इस पर विपक्षी पार्टियों ने भी चुटकी लेना शुरू कर दिया । कांग्रेस पार्टी हो या आम आदमी पार्टी और मार्क्सवादी, हर तरफ से भाजपा को घेरने में किसी ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी सभी राजनीतिक दलों और राजनीतिज्ञों ने भाजपा की अंदरूनी लड़ाई पर चुटकी लेने से गुरेज नहीं किया । पूर्व मुख्यमंत्री और हिमाचल प्रदेश के सबसे अनुभवी राजनीतिज्ञ वीरभद्र सिंह ने भी भाजपा की अंतर कलह पर जमकर कुठाराघात किया और पार्टी को आड़े हाथ लिया । उनका मानना है की पार्टी की अंतर कलह से राज्य का विकास प्रभावित हुआ है उन्होंने कहा कि भाजपा के बीच भीतरी लड़ाई शुरू से ही थी लेकिन अब अनुराग ठाकुर और जयराम ठाकुर के बीच सामने आए वाक युद्ध के बाद यह चरम पर पहुंच गई है उन्होंने सलाह दी कि प्रदेश के विकास को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।इससे पहले कॉंग्रेस के अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर और आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता वाह पूर्व कर्मचारी नेता एसएस जोगदा पहले ही भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोल चुके हैं । प्रदेश की राजनीतिक पारे में आए उछाल को शांत करने के लिए क्या रणनीति अपनाई जाती है यह भविष्य के गर्भ में छुपा है अब देखना यह है कि प्रदेश भाजपा अपनी भीतरी लड़ाई पर विपक्षी हमलों से सबक लेती है या केंद्रीय व वरिष्ठ नेतृत्व को को ही इसमें बीच-बचाव के लिए आगे आना पड़ेगा। इसमें कोई दो राय नहीं यदि भाजपा के बीच भी तेरे लड़ाई इसी तरह से रही तो आने वाले प्रदेश के स्थानीय निकायों के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मुंह की खानी पड़ेगी।