राज्य सरकार ने प्रदेश की जनता खासकर पुरुष वर्ग को धीरे से दिया जोर का झटका, स्टाम्प ड्यूटी को किया 8 प्रतिशत, विपक्ष ने किया वाकआउट
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार द्वारा स्टांप डयूटी बढ़ाये जाने के विरोध में आज विपक्षी दल भाजपा ने विधानसभा से वाकआउट किया। हालांकि स्टाम्प डयूटी बढ़ाये जाने के बावजूद इसमें महिलाओं को राहत दी गई है और उन्हें 80 लाख तक की संपत्ति की रजिस्ट्री पर केवल 4 फीसदी ही स्टाम्प ड्यूटी देनी होगी। इससे अधिक राशि की संपत्ति खरीदने पर महिलाओं को भी 8 प्रतिशत की दर से स्टाम्प ड्यूटी देनी होगी। पुरुषों के लिए 50 लाख से अधिक की संपत्ति खरीदने पर 8 फीसद की दर से स्टाम्प ड्यूटी लगेगी। स्टाम्प डयूटी के नए सिरे से निर्धारण को लेकर प्रदेश सरकार ने विधानसभा में संशोधन विधेयक लाया जिसे विपक्ष के विरोध के बावजूद पारित कर दिया। एक्ट में संशोधन को लेकर विपक्ष ने सरकार को सुझाव दिया था जिसे मानते हुए सरकार ने महिलाओं को संपत्ति की रजिस्टरी पर जो लिमिट 50 लाख रूपए तक की रखी थी उसे बढाकर 80 लाख रूपए तक कर दिया। यानि 80 लाख रूपए तक संपत्ति की रजिस्टरी यदि महिला के नाम पर होगी तो उसे 4 फीसदी रजिस्टरी फीस देनी होगी।
सदन में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने पिछले कल भारतीय स्टाम्प हिमाचल प्रदेश संशोधन विधेयक 2023 लाया था जिसे आज पारित करने के लिए लाया गया। इसका विपक्ष ने विरोध किया और कहा कि यह आम जनता पर बहुत ज्यादा आर्थिक बोझ डालने की कोशिश है। मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने इसमें कुछ संशोधन की बात कही जिसपर बिल को भोजनावकाश के बाद तक के लिए स्थगित कर दिया और इसके बाद सदन में बिल को पारित करने के मुददे पर तनातनी हो गई और विपक्ष ने सदन में हंगामा किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुझाव भी भाजपा ने दिया था जिसे सरकार ने मान लिया और अब वह सदन से भाग भी गए। वाकआउट के बाद विपक्ष वापस सदन में लौट आया।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने इसपर कहा कि प्रदेश पर 75 हजार करोड का कर्जा है। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है लिहाजा सख्त कदम उठाए जाने जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को संसाधन जुटाने जरूरी हैं, कब तक उधार लेकर चलेंगे। प्रदेश सरकार ने पड़ौसी राज्य हरियाणा के बराबर यह फीस रखी है।
मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने भी इस मामले में कहा कि पिछले 10 महीने में सरकार के सामने ऐसे मामले आए हैं जिनमें जमीन की बिक्री पावर ऑफ अटाॅर्नी के आधार पर हो रही है। ऐसे मामलों को भी रोकना जरूरी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं का सम्मान करते हुए सरकार उनके लिए लगने वाली फीस को 80 लाख तक 4 फीसदी रखेगी। महिलाओं के सम्मान में यह निर्णय सरकार ने लिया है मगर विपक्षी दल भाजपा महिलाओं का सम्मान भी नहीं चाहती। महिला मुददे पर भी वह समर्थन नहीं कर रहे हैं और सदन से बाहर चले गए हैं। उन्होंने भाजपा को महिला विरोधी करार दिया।
इससे पूर्व विधेयक पर हुई चर्चा में भाजपा के विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि स्टाम्प डयूटी बढने से प्रदेश के लोगों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पडेगा। सरकार गरीब लोगों पर आर्थिक बोझ डालने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार एक साथ एक या दो गुणा नहीं बल्कि दस गुणा तक बढोतरी ले आई है जो सही नहीं है। इस पर सरकार को पुर्नविचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जमीन की सेल परचेज पर रजिस्टरी फीस 4 से 6 फीसदी थी लेकिन अब बाजार भाव के तहत 50 लाख से उपर सभी को 8 फीसदी तक रजिस्टरी फीस कर दी गई है जिसमें महिलाओं का भी ध्यान नहीं रखा गया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को 1500 रूपए देना तो दूर उल्टा उनपर रजिस्टेशन की ज्यादा फीस लगा दी है जोकि गलत है।
विधायक त्रिलोक जमवाल ने कहा कि सरकार कुल मिलाकर 100 फीसदी बढोतरी कर रही है जो सही नहीं है क्योंकि यहां पर लोगों के पास उतनी जमीनें भी नहीं, गरीब लोगों पर इससे मार पडेगी।
विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि 5 फीसदी तक बढोतरी मानी जा सकती है लेकिन यह बढोतरी बहुत ज्यादा है। लोगों के पास आय के साधन उतने नहीं हैं लिहाजा आम जनता पर पड रही इस मार को ध्यान में रखकर सरकार को इसपर पुर्नविचार करना चाहिए।