भारत के 16वें वित्तायोग ने चुनावी फ़्रीबीज पर जताई चिंता, आपदा राहत के मामले में हिमाचल के लिए अलग पैमाने की संभावनाओं से किया इन्कार
16वें वित्त आयोग ने राजनीतिक दलों द्वारा आम जनता से किए जा रहे वायदों खासकर चुनाव में फ्रीबीज बांटने पर चिंता जताई है। आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर अरविंद पनगढ़िया ने आज शिमला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों में मतदान पूर्व फ्रीबीज बांटने की होड़ लगी हुई है जो चिंता का विषय है और आयोग अपनी सिफारिशों में इस मुद्दे पर सुझाव देगा तथा इसे हल करने का भी प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों में चुनाव पूर्व फ्रीबीज बांटने का प्रचलन लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आयोग हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य को हरित आवरण उपलब्ध कराने के एवज में मुआवजे से संबंधित मुद्दों पर भी विचार करेगा।
गौरतलब है कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने 2022 में होने वाले पिछले विधानसभा चुनाव से पूर्व जारी अपने चुनावी घोषणापत्र में 18 से 59 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं को 1500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया था।
हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ बैठकों के लंबे दौर के बाद शिमला में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए पनगढ़िया ने कहा कि बैठकों में हिमाचल की अपेक्षाओं और जरूरतों पर चर्चा की गई। इस दौरान अधिकारियों द्वारा 90 स्लाइडों की एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि हिमाचल प्रदेश में कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण हर चीज की कीमत कई गुना अधिक है और हिमाचल को सहायता का निर्धारण करते वक्त इस हकीकत को ध्यान में रखा जाना चाहिए। पनगढ़िया ने कहा कि आयोग ने अपने देशव्यापी दौरे की शुरुआत हिमाचल से की है और आयोग को अगले साल अक्तूबर तक केंद्र सरकार को अपनी शिफारिशें देनी हैं। उन्होंने कहा कि आयोग सहायता के मापदंडों को तय करने से पहले अन्य राज्यों का दौरा करेगा और दौरे के निष्कर्ष के आधार पर सिफारिशें देगा।
अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि वित्त आयोग ओल्ड पेंशन स्कीम के मुद्दे पर भी विचार करेगा और इस संबंध में अपनी सिफारिश से केंद्र सरकार को देगा उन्होंने माना कि ओ पी एस की बहाली से राज्यों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा ऐसे में आयोग इस मुद्दे पर अपनी सिफारिशें में हल ढूंढने का प्रयास करेगी उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल को आपदा के मामले में मदद के लिए पैमाना अलग नहीं हो सकता।
अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा दी गई प्रस्तुति में कहा गया की 15 वें वित्त आयोग ने हिमाचल की समस्याओं पर पूरी तरह ध्यान नहीं दिया और इस कारण प्रदेश को अपेक्षित केंद्रीय मदद नहीं मिल पाई। उन्होंने स्पष्ट किया कि हर वित्त आयोग का अपना एक नजरिया होता है और किसी भी वित्त आयोग की मदद का मापदंड दूसरे वित्त आयोग की तर्ज पर हो, ऐसा जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि वित्त आयोग एक लो-प्रोफाइल संस्था है और वह राजनीति से दूर रहकर काम करती है। मौजूदा वित्त आयोग भी इस परंपरा को निभाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल ने अपना पक्ष बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया है।