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बहुचर्चित विमल नेगी की संदिग्ध मौत मामले में मंत्री जगत सिंह के CBI को प्रश्नचिन्ह बताने वाले बयान पर भाजपा का तीखा प्रहार कहा- हमला नहीं, न्याय प्रक्रिया पर सीधा प्रहार कर रहे हैं जगत नेगी

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हिमाचल हाई कोर्ट द्वारा विमल नेगी की संदिग्ध मौत की जांच CBI को सौंपने के आदेश ने राज्य सरकार की असलियत उजागर कर दी है। अब जब सच्चाई की परतें खुलने की बारी है, तो मंत्री जगत नेगी CBI को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। असल में उनका ये बयान एक तरह की घबराहट, बौखलाहट और प्रशासनिक भ्रष्टाचार को ढकने की कोशिश है।भाजपा मुख्य प्रवक्ता राकेश जमवाल ने कहा कि CBI को “प्रश्नचिन्ह” बताकर मंत्री जगत नेगी किसे बचाना चाहते हैं? SIT को क्लीन चिट देने की इतनी जल्दी क्यों? क्या इसलिए कि अगर निष्पक्ष जांच हुई तो हिमाचल सरकार के कई अफसरों और नेताओं की पोल खुल सकती है?

उन्होंने कहा कि मंत्री नेगी को गुड़िया कांड याद है, लेकिन वे ये भूल जाते हैं कि उसी मामले में सबूतों से छेड़छाड़ हुई थी और उस वक्त प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। CBI ने वही सच्चाई बाहर लाई जिसे कांग्रेस की पुलिस छुपा रही थी। अब वही मंत्री फिर उसी मानसिकता से CBI पर हमला कर रहे हैं। क्या गुड़िया कांड की तरह विमल नेगी केस में भी कुछ छिपाने की कोशिश हो रही है?

राकेश जमवाल ने कहा कि बयान देने से पहले मंत्री नेगी को ये समझना चाहिए कि वो कोई कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता नहीं, प्रदेश के मंत्री हैं। बार-बार विवादित बयान देना, कभी राष्ट्रविरोधी बातें करना, कभी प्रदेशविरोधी, और अब खुद की विधानसभा के क्षेत्रविरोधी व्यवहार – क्या यही है मंत्री होने की मर्यादा? क्या विमल नेगी जैसे ईमानदार अफसर को न्याय मिलना इन्हें पच नहीं रहा?

प्रदेश की जनता जानना चाहती है – जब न्यायपालिका CBI जांच को आवश्यक मानती है, तो मंत्री को इसमें दिक्कत क्या है? कहीं ऐसा तो नहीं कि अगर CBI जांच हुई तो वो सच बाहर आ जाएगा जिससे कांग्रेस सरकार की नैतिकता तार-तार हो जाएगी?

उन्होंने कहा कि भाजपा स्पष्ट मानती है कि यह कोई सामान्य घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित दबाव की बू आ रही है। जिस तरह से मंत्री नेगी ने हाई कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है, वह न केवल न्यायपालिका का अपमान है, बल्कि पीड़ित परिवार के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है।

भाजपा मांग करती है कि मंत्री जगत सिंह नेगी को तुरंत अपने शर्मनाक बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए और न्यायिक प्रक्रिया में रुकावट डालने की कोशिश बंद करनी चाहिए। यदि वे सच्चे हैं, तो CBI जांच का स्वागत करें – वरना जनता समझ जाएगी कि डर किसे सता रहा है।

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