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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आत्मनिर्भर हिमाचल के लिए ग्रामीण अर्थव्यस्था को मजबूती दिलाने को सर्वाेच्च प्राथमिकता देने पर दिया बल

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मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने के संकल्प के साथ कार्य कर रही है, जिसके लिए पिछले अढ़ाई वर्षों के दौरान विभिन्न प्रभावी कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि यह सपना केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करके ही साकार किया जा सकता है क्योंकि हिमाचल की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि और बागवानी पर निर्भर है। इसलिए कृषक समुदाय की आर्थिकी को मजबूत करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्राकृतिक खेती से उत्पन्न जैविक उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। प्रदेश सरकार ने मक्की की खरीद पर एमएसपी दो बार बढ़ाई है। पहली बार एमएसपी 30 रुपये और उसके बाद 40 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई। इसी प्रकार गेहूं की खरीद पर एमएसपी पहले 40 रुपये और उसके बाद बढ़ाकर 60 रुपये प्रति किलोग्राम की है। इसके अलावा, कच्ची हल्दी के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार 90 रुपये प्रति किलोग्राम का एमएसपी प्रदान कर रही है। राज्य सरकार ने हिम-भोग हिम-मक्की ब्रांड नाम से प्राकृतिक खेती से उत्पादित मक्की का आटा उपलब्ध करवाया है। यह उत्पाद सतत कृषि और किसानों को सशक्त बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। लाहौल-स्पीति और किन्नौर को छोड़कर राज्य के 10 जिलों में प्राकृतिक खेती करने वाले 1590 किसान परिवारों से 4,000 क्विंटल से अधिक मक्की की खरीद की गई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में आलू का उत्पादन बढ़ाने के लिए ऊना जिले में लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से आलू प्रसंस्करण प्लांट स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा, प्रदेश में उत्पादित मसालों को नई पहचान दिलाने के लिए हमीरपुर जिले में स्पाइस पार्क विकसित करने की योजना भी तैयार की गई है।
श्री सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से हिम-भोग हिम-मक्की का आटा उपलब्ध करवाया है। हिम-भोग हिम-मक्की आटा सरकार द्वारा प्राधिकृत पोर्टल हिम-ईरा पर भी बिक्री के लिए उपलब्ध है। इस पहल का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण दोनों आबादी के लिए प्राकृतिक रूप से उगाई गई मक्की का आटा सुलभ उपलब्ध करवाना है। उन्होंने कहा कि लगभग 400 मीट्रिक टन मक्की की खरीद के लिए 1.20 करोड़ रुपये सीधे किसानों के बैंक खातों में स्थानांतरित किए गए हैं। इस वित्त वर्ष से सरकार ने कच्ची हल्दी के लिए एमएसपी प्रदान करने का निर्णय लिया है जिसे ‘हिमाचल हल्दी’ ब्रांड नाम से प्रसंस्करण और विपणन किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने चरणबद्ध तरीके से 9.61 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब कांग्रेस अढ़ाई साल पहले सत्ता में आई थी, तो उन्होंने पाया कि किसान ऋण राशि चुकाने के लिए मजबूरी में अपनी जमीन बेच रहे हैं। हमारी सरकार ने ऐसे किसानों को एकमुश्त निपटान के रूप में ब्याज अनुदान योजना के माध्यम से सहायता करने का निर्णय लिया, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो अपनी जमीन बेचने के लिए मजबूर थे।
उन्होंने कहा कि पिछले अढ़ाई वर्षों के दौरान कृषि अर्थव्यवस्था में बदलाव देखा जा रहा है, जिसमें किसान अपना ध्यान प्राकृतिक खेती की ओर केंद्रित कर रहे हैं। राज्य में बड़ी संख्या में किसानों ने रसायन मुक्त खेती को अपनाया है, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि प्रदेश की लगभग सभी पंचायतों के 2,23,000 किसानों और बागवानों ने आंशिक या पूर्ण रूप से प्राकृतिक खेती को अपनाया है। सरकार ने किसानों के लिए अतिरिक्त आय सृजन के विकल्प तलाशने, उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने, गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध करवाने, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और सुदृढ़ीकरण, फसल बीमा प्रदान करने, प्रशिक्षण प्रदान करने और कृषि अनुसंधान को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है।
यह पहल न केवल पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है बल्कि किसानों को सशक्त बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के प्रति समर्पण को भी दर्शाती है, जिससे हिमाचल सतत कृषि विकास में अग्रणी राज्य के रूप मंे उभरा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों के उत्पाद का उचित मूल्य प्रदान करने, प्राकृतिक खेती का विस्तार करने और छोटे किसानों को प्रोत्साहन देने की दिशा में कार्य कर रही है। राज्य सरकार पारंपरिक कृषि पद्धति और आधुनिक बाजार की मांग के बीच की दूरी को कम करने में सक्रिय भूमिका निभा रही है, इससे प्रदेश के कृषक समुदाय का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित होने के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण पेश हुआ है।
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