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माकपा ने केंद्र सरकार की तथाकथित जनविरोधी नीतियों के खिलाफ शिमला के टूटू में चलाया जनसम्पर्क अभियान,28 को होगा प्रदर्शन

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सी पी आई ( एम ) केंद्रीय कमेटी के आह्वान पर केंद्र की मोदी सरकार की आम जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ खिलाफ 22 से 28 फरवरी तक चलाए जा रहे पार्टी अभियान के तहत शिमला शहर के टूटू क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जनता में जनसम्पर्क अभियान किया व पर्चे वितरित किये। इस अभियान में पार्टी राज्य कमेटी सदस्य विजेंद्र मेहरा, जिला कमेटी सदस्य अनिल ठाकुर, हेमराज चौधरी, कुंदन शर्मा, कमल शर्मा, अमन राणा, रणजीत आदि मौजूद रहे। अभियान के समापन अवसर पर 28 फरवरी 2023 को जिलाधीश कार्यालय शिमला के बाहर प्रदर्शन किया जाएगा।

पार्टी नेता विजेंद्र मेहरा, अनिल ठाकुर व हेमराज चौधरी ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार लगातार जनता की रोजी – रोटी पर हमला करने वाली नीतियां लागू कर रही है। हाल ही में केंद्र में मोदी सरकार द्वारा जो बजट पेश किया गया उसमें जन कल्याणकारी योजनाओं, सामाजिक सेवाओं व सार्वजनिक क्षेत्र के विकास की राशि में भारी कटौती की गई है। बजट की दिशा पूरी तरह बड़े पूंजीपतियों व अमीर घरानों को राहत देने वाली है। भारत में आज भी 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा बजट में खाद्य सब्सिडी में 90 हजार करोड की कटौती की गयी है। खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिलने वाले राशन को बंद करने की वकालत की गई है। महंगाई ने पहले ही जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। खाद्य सब्सिडी को कम करने से खाद्य वस्तुओं, आटा, दाल, चावल, तेल आदि की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो रही है। केंद्र सरकार महंगाई को रोकने में पूरी तरह असफल रही है। मोदी सरकार के शासन में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण तीखे रूप से बढ़ा है। जनता के आपसी भाईचारे को खत्म करने के लिए नफरत का माहौल बनाया जा रहा है। जनता के रोजगार, महंगाई, स्वास्थ्य ,शिक्षा और विकास जैसे बुनियादी मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए के लिए देश में नफरत का यह माहौल पैदा किया जा रहा है। सरकार संवैधानिक संस्थाओं से छेड़छाड़ करके लोकतंत्र को कमजोर करने का कार्य कर रही है। संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर देश के संघीय ढांचे को कमजोर किया जा रहा है। सरकार राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के जरिए देश के सार्वजनिक क्षेत्र को कौड़ियों के भाव बेच रही है। रोजगार के अवसर कम किए जा रहे हैं। स्थाई रोजगार की जगह फिक्स टर्म, ठेका, आउटसोर्स, पार्ट टाइम, टेम्परेरी रोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है। मजदूरों के अनेकों संघर्षों और कुर्बानियों से बने 44 श्रम कानूनों को चार श्रम संहिता में बदल दिया गया है। इन कानूनों से पूंजीपतियों को मजदूरों के शोषण करने का खुला लाइसेंस दे दिया गया है। मजदूरों को पूंजीपतियों का गुलाम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। सीपीआईएम ने आम जनता से सरकार की जनविरोधी नीतियों को पलटने के लिए एकजुट होकर संघर्ष तेज करने का आह्वान किया है। सीपीआईएम ने केंद्र सरकार से मांग की है कि रोजगार पैदा करने वाली ढांचागत परियोजनाओं में निवेश बढ़ाया जाए। 5 किलोग्राम मुफ्त राशन के साथ 5 किलोग्राम सस्ता खाद्य वस्तु वितरण बहाल किया जाए। बढ़ती महंगाई पर रोक लगाने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। मनरेगा के बजट में बढ़ोतरी करके इसे 2 लाख करोड़ रुपए किया जाए। श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी फेरबदल करके बनाए गए चार लेबर कोडों को निरस्त किया जाए व पुराने श्रम कानूनों को बहाल किया जाए। कॉरपोरेट घरानों व अमीरों को करों में दी गई छूट वापस ली जाए। अति अमीरों पर अलग से कर की व्यवस्था की जाए। खाद्य सामग्री, दवाओं तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं से जीएसटी हटाया जाए। सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण बंद किया जाए। सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत बनाया जाए।

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