सहकारी सभाओं के ऋण दोषी पंचायत चुनाव लड़ने के अधिकार से हो सकते हैं वंचित -मुख्यमंत्री ने सहकारिता आंदोलन को जन आंदोलन बनाने पर दिया बल
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मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा है कि सहकारिता आंदोलन को जन आंदोलन बनाने की आवश्यकता है क्योंकि इस क्षेत्र में रोजगार और स्वरेजगार की व्यापक क्षमताएं हैं। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को जमीनी स्तर तक पहंुचाया जाना चाहिए जिससे ग्रामीण आबादी तक इसकी पहंुच सुनिश्चित हो सके।
मुख्यमंत्री आज शिमला में होटल होली डे होम में 67वें अखिल भारतीय सहकारिता सप्ताह समारोह की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में 4843 सहकारी सभाएं कार्यशील हैं जिनके 17.35 लाख से अधिक सदस्य और 38677 करोड़ रुपये की सक्रिय पूंजी है। ये सभाएं प्रदेश की 3226 ग्राम पंचायतों में 3156 डिपूओं के संचालन के साथ आम जनता तक आवश्यक वस्तुओं के वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उचित मूल्य की इन दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को आवश्यक सामग्री के साथ-साथ किसानों और बागवानों को खाद, कीटनाशक और कृषि उपकरण इत्यादि भी वितरित किए जा रहे हैं।
जय राम ठाकुर ने कहा कि सहकारी सभाएं लोकतंत्र और आत्मनिर्भरता की मूलभूत इकाइयां हैं लेकिन इस दिशा में अभी काफी कार्य किया जाना बाकी है। हिमाचल प्रदेश ने सहकारिता आंदोलन में देश का नेतृत्व किया है क्योंकि पहली सहकारी सभा का गठन 1892 में ऊना जिले के पंजावर में किया गया था। उन्होंने कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है और हमें उनके माॅडल का अध्ययन कर इसका अनुसरण करना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारी सभाओं को पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ऐसे व्यक्तियों को पंचायत चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित करने पर विचार करेगी जो सहकारी सभाओं के ऋणों के दोषी हैं। राज्य सरकार विभिन्न सहारी सभाओं द्वारा दिए गए सुझावों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी।
उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग को और सशक्त बनाने और विभाग में खाली पड़े पदों को भरने के लिए प्रदेश सरकार प्रभावी कदम उठाएगी।
मुख्यमंत्री ने सहकारिता सप्ताह के अवसर पर सहकारिता ध्वज का अनावरण किया। उन्होंने सीमा देवी और पल्लवी को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया।
शहरी विकास और सहकारिता मंत्री सुरेश भारद्धाज ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि सहकारिता आंदोलन को आरंभ करने वाले हिमाचल प्रदेश ने इस क्षेत्र में ज्यादा उपलब्धियां हासिल नहीं की हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए हर संभव उपाय करेगी। उन्होंने कहा कि सहकारी सभाएं प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों तक सभी आवश्यक वस्तुओं के वितरण का जिम्मा उठा रही हैं और विशेषकर कोविड-19 के इस दौर में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को लोेगों तक पहंुचाने में इन सभाओं ने उल्लेखनीय योगदान दिया है। उन्होंने यह सुनिश्चित बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया कि सहकारी बैंकों में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी न हो।
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम देश में स्वास्थ्य क्षेत्र मे 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगा।
सहकारिता कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सर्वजीत सिंह ठाकुर ने सहकारी सभाओं की विभिन्न मांगों के बारे में मुख्यमंत्री को अवगत करवाया। उन्होंने आग्रह किया कि सहकारिता कर्मचारियों को कोरोना योद्धा घोषित किया जाए।
हिमकोफेड के अध्यक्ष रतन सिंह पाल ने कहा कि राज्य में सहकारिता आंदोलन को सशक्त बनाने का श्रेय मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को जाता है। उनका कहना था कि कोविड-19 के कारण सहकारिता गतिविधियां बुरी तरह प्रभाति हुई हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से सभी प्राधिकरणों को यह निर्देश जारी करने का अनुरोध किया कि सभी सरकारी दस्तवोज हिमकोफेड की प्रिंटिंग प्रेस से छापे जाएं।
पंजीयक, सहकारी सभाएं राजेश शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव रखते हुए कहा कि सहकारी निरीक्षकों के 43 पद शीघ्र भरे जा रहे हैं और बाकी खाली पदों को शीघ्र भरने के प्रयास किए जाएंगे।
हिमफेड के अध्यक्ष गणेश दत्त, जोगिंद्रा सहकारिता बैंक के अध्यक्ष योगेश भारतीय, बघाट बैंक के अध्यक्ष पवन गुप्ता, हिमको के निदेशक हरि वल्लभ एवं राम गोपाल, सहकारिता सचिव अक्षय सूद, अतिरिक्त पंजीयक सहकारिता रमेश माल्टा तथा उप-पंजीयक नीरज सूद एवं रजनीश भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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