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भारी बारिश के बावजूद कालका-शिमला धरोहर चलती रेलगाड़ी में पांचवीं दो दिवसीय भलकू स्मृति साहित्यिक यात्रा का सफल आयोजन,स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने यात्रा को दी हरी झंडी

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विश्व धरोहर के रूप में विख्यात कालका शिमला रेलगाड़ी में हिमालय साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा आज 8 जुलाई, 2023 को दो दिवसीय पांचवीं बाबा भलखू स्मृति साहित्यिक ट्रेन यात्रा का सफल आयोजन किया गया जिसमें हिमाचल सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तथा पूर्व केन्द्रीय रेलवे सदस्य डॉ.(कर्नल) धनीराम शांडिल ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत कर शिमला रेलवे स्टेशन से यात्रा को फ्लैग ऑफ किया और तारादेवी तक लेखकों के साथ यात्रा भी की। इससे पहले उन्होंने हिमालय मंच की और से स्टेशन पर सभी लेखकों और रेलवे अधिकारियों को हिमाचली टोपी, मफलर और मोमेंटो से सम्मानित किया। सहायक स्टेशन अधीक्षक जोगिंदर बोहरा जी ने अपनी संस्था की ओर से स्वास्थ्य मंत्री और एस आर हरनोट को पौधे दे कर सम्मानित किया। उन्होंने लेखकों की उपस्थिति में दीप्ति सारस्वत “प्रतिमा” के कहानी संग्रह “प्याली भर जुगुप्सा” का विमोचन भी किया। इसी के साथ बरेली से पधारी उपन्यासकार सीमा असीम का नया उपन्यास जाग मुसाफिर भी लोकार्पित किया। वरिष्ठ लेखक रोशन जसवाल ने भी अपना कविता संग्रह उन्हें भेंट किया. स्वास्थ्य मंत्री ने इस यात्रा को अनूठा करार दिया और हिमालय मंच की प्रशंसा की कि यह देश की पहली ऐसी यात्रा है जो एक मजदूर की स्मृति में आयोजित की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि यात्रा प्रति वर्ष चलती रहनी चाहिए. इस यात्रा में देश और प्रदेश के विभिन्न भागों से स्थानीय लेखकों सहित 35 लेखक, पत्रकार, रंगकर्मी और लोक गायक शामिल रहे। पहले दिन यात्रा शिमला स्टेशन से बड़ोग रेलवे स्टेशन तक और वहां से वापिस शिमला रेलवे स्टेशन लौटी. भारी बारिश के बावजूद बड़ोग रेलवे स्टेशन पर सोलन नगर निगम के पूर्व महापौर कुल राकेश पन्त, हिमाचल प्रदेश सरकार के शीर्ष पदों पर रहे सेवानिवृत आई एस अधिकारी शरभ नेगी और सोलन फिलफोट फॉर्म के प्रधान विजय कुमार पूरी तथा पदाधिकारियों ने पुष्प मालाएं पहनाकर लेखकों को हार्दिक स्वागत किया. स्वास्थ्य मंत्री की शिमला से समरहिल रेलवे स्टेशन तक की यात्रा अवधि को लोकगायक ओम प्रकाश और जगदीश गौतम ने कई हिमाचली पारम्परिक लोकगीत गाकर संवारा और खुबसूरत बना दिया.

एस आर हरनोट जी ने इस यात्रा का उद्देश्य मीडिया से साझा करते हुए बताया कि दिव्य और दुर्लभ प्रतिमा के धनी मजदूर भलकू जमादार के हिन्दुस्तान तिब्बत मार्ग और शिमला कालका रेलवे के सर्वेक्षण में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को स्मरण करते हुए उन समस्त मजदूरों को याद करना भी है जिन्होंने अपने हाथों से रेलवे लाइन और हिमाचल के कठिन दुर्गम पहाड़ों से सड़कें निकालीं और कई मजदूरों ने अपनी जाने गंवा दीं। यह यात्रा आपसी स्नेह और सद्भावना की यात्रा भी है. हरनोट ने कालका शिमला रेलवे के इतिहास को बताते हुए कहा कि भलकू ने बतौर मजदूर हिन्दुस्तान तिब्बत रोड़ में काम शुरू किया था, जिसका पहला फेज कालका-शिमला रोड़ के नाम से जाना जाता है, जो सन् 1840 ई. में शुरू हुआ और 1856 ई. तक शिमला तक पूर्ण हो गया। भलकू के दुर्लभ कार्य को देखकर अंग्रेजों ने उसे ओवरशियर की पोस्ट से नवाज़ा था. इस वर्ष कालका शिमला रेल ने 120 वर्ष पुरे कर लिए है. इस रेल लाइन का कार्य सन् 1898 में शुरू हुआ और रेल लाइन को 9 नवम्बर, 1903 में गाड़ियों के लिए खोल दिया गया। इस पर कुल लागत 86,78,500 रूपए आई थी। पहले इस लाइन पर 107 सुरंगों का निर्माण हुआ जिसमें बड़ोग की सुरंग-33 नम्बर सबसे लम्बी है जिसकी लम्बाई 1143.61 मीटर हैं। बड़ोग के बाद दूसरी लम्बी सुरंग कोटी सुरंग है और तीसरी सुरंग तारा देवी की है जो 91 नम्बर है। इस रेलवे लाइन की कुल लम्बाई 96.6 किलोमीटर है। वर्तमान में इस लाइन पर 103 सुरंगे, 869 पुल, 919 घुमाव और 20 रेलवे स्टेशन हैं। कनोह पुल इंजीनीयरिंग का नायाब नमूना है। यह 52.90 मीटर लम्बा, 23 मीटर ऊंचा यानि चार मंजिला है जिसमें 34 मेहराव बनी है। भारतीय रेलवे का यह पुल अभी तक भी देश का सबसे ऊंचा आर्कगैलरी पुल है। नवम्बर 2003 में रेलवे ने इस रेलवे लाईन के सौ वर्ष पूर्ण होने पर शताब्दी समारोह मनाया था जिसमें तत्कालीन रेलवे मंत्री नितीश कुमार ने बस स्टैंड शिमला में भलकू रेल संग्रहालय खोलने की घोषण की थी। यह संग्रहालय 7 जुलाई, 2011 को विधिवत रूप से स्थापित हो गया। इस रेलवे लाइन को 10 जुलाई, 2008 को युनेस्को द्वारा विश्वधरोहर घोषित की गई।

कविता सत्र केथलीघाट और कनोह रेलवे स्टेशनों के नाम पर आयोजित किए गए जिनकी अध्यक्षता क्रमशः डॉ.प्रेरणा ठाकरे, प्रसिद्ध कवयित्री व कथाकार और वरिष्ठ लेखिका डॉ.किरण सूद द्वारा की गई। कवि गोष्ठी में जिन लेखकों ने भाग लिया और रचनापाठ किये उनमें डॉ.किरण सूद(देहरादून), डॉ.प्ररेणा ठाकरे (नीमच मध्य प्रदेश), राजेश अरोड़ा और रोमी अरोड़ा(कानपुर), ई.एस.पी.सिंह(पटना विहार), सीमा असीम(बरैली), ज्योत्स्ना मिश्र, ज्योति बक्सी और गायत्री मनचंदा (नई दिल्ली), संदीप वैद्य(मुम्बई), रवि कुमार और अनिल शर्मा(बिलासपुर), लखविंदर सिंह (अमृतसर), रौशन जसवाल और विनोद रोहतकी(सोलन), जगदीश बाली और हितेन्द्र शर्मा(कुमार सैन) सहित डॉ.विजय लक्ष्मी नेगी, डॉ. अनिता शर्मा, डॉ.देव कन्या ठाकुर, लेखराज चौहान, जगदीश कश्यप, सुमन धनंजय, वीरेन्द्र शर्मा, जगदीश गौतम, शांति स्वरूप शर्मा शामिल रहे. जगदीश बाली और दीप्ति सारस्वत ‘प्रतिमा‘ ने मंच संचालन खूबसूरती से किया। कंडाघाट सत्र सुर संगीत के नाम रहा जिसकी अध्यक्षता डॉ. अनिता शर्मा ने की और संचालन जगदीश गौतम द्वारा किया गया। जगदीश गौतम के लोक गीतों ने सभी का मन मोह लिया। अनिता शर्मा ने कई पहाड़ी लोकगीत और गीत सुनाये जिनका साथ देवकन्या ठाकुर ने दिया. रवि कुमार, अनिल शर्मा, शांति स्वरुप शर्मा और विजयलक्ष्मी नेगी ने भी पहाड़ी और फ़िल्मी गीत सुनाये. लखविन्द्र सिंह ने कई पंजाबी गीत सुनकर लेखकों का भरपूर मनोरंजन किया. बड़ोग रेलवे स्टेशन पर सोलन नगर निगम के पूर्व महापौर कुल राकेश पंत, आईएएस अधिकारी शरभ नेगी, सोलन फिलफोट फॉर्म के प्रधान विजय कुमार पूरी, राजीव उप्पल,महा सचिव, गुलाब सिंह नामधारी, कोषाध्यक्ष, मनोज गुप्ता, संयुक्त सचिव, मोहिनी सूद, निदेशक, विक्रम मट्टू और आशीष सदस्य ने गरमजोशी से फूल मालाएं पहनाकर लेखकों का स्वागत सम्मान किया.

भारी वर्षा के बाद 9 जुलाई यानि दूसरे दिन की यात्रा लेखकों ने बस से चायल की. हिमाचल पर्यटन निगम के कैफ़े ललित कुफरी में लेखकों ने ब्रेकफास्ट किया और दीप्ति सारस्वत “प्रतिमा” की कथा पुस्तक “प्याली भर जुगुप्सा” पर एक गोष्ठी का आयोजन किया जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार रोमी अरोड़ा ने की. जानेमाने कवि और रंगकर्मी राजेश अरोड़ा ने पुस्तक पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि दीप्ति सारस्वत की पुस्तक में संग्रहित छोटी बड़ी कहानियां जरुरी और नए विषयों को केंद्र में रख कर लिखी गयी है जो दिल में गहरे उतर जाती है. हालाँकि दूसरी वक्ता डॉ. ज्योस्तना मिश्रा दूसरे दिन की यात्रा में भाग नहीं ले सकी परन्तु उन्होंने अपनी सारगर्भित टिप्पणी प्रेषित कर दी थी जिसे अध्यक्ष रोमी अरोड़ा जी ने पढ़ कर सुनाया. दीप्ति जी ने पुस्तक में से एक कहानी का पाठ भी किया। बस में जहाँ सभी लेखकों ने अपनी अपनी रचनायें सुनाई वहां कुफरी ललित कैफ़े में रचनात्मक संवाद के साथ अपने अपने सृजन के बारे में भी बताया. कैफ़े में अहमदाबाद से सपरिवार भ्रमण के लिए हिमाचल आये बिज़नस मैन नैलेश कुठारी, संजय कुठारी, मनीष सोनी और उनके परिवार ने भी लेखकों की रचनाओं से प्रभावित होकर हिमालय मंच ग्रुप ज्वाइन कर लिया और संवाद में भागीदारी की.

उसके बाद हिमाचल पर्यटन के हेरिटेज होटल पैलेस चायल का भ्रमण किया. इस बार की यात्रा में चायल झाझा रोड जो भलकू के पुश्तैनी गाँव व घर जाता है, बारिश से क्षतिग्रस्त हो गया जिस कारन ल्केखाक उनके गाँव नहीं जा सके.

इस यात्रा के प्रबन्धन में वीरेंद्र कुमार, धनजय सुमन और यादव जी का महत्वपूर्ण रोल रहा जिसकी सभी लेखकों ने प्रशंसा की. भारी वर्षा में इस यात्रा में कई खुबसूरत संयोग भी रहे. 8 जुलाई को जैसे ही रेल यात्रा पूर्ण हुयी कालका शिमला रेलवे लाइन की सभी ट्रेने स्थगित हो गयी. 9 जुलाई को पहले जुन्गा चायल रोड बंद हुआ और जैसे ही हमारी बस कुफरी पहुंची, कुफरी चायल रोड भी बंद हो गया. बहार से आये लेखकों सहित हिमालय मंच के लेखकों ने यात्रा समाप्ति पर बारिश से हिमाचल में हुयी तवाही पर घोर चिंता जताई और जिन लोगों ने हादसों में जानें गवां दी उन्हें विनम्र श्रद्धांजली भी अर्पित की.

बाहर से आये लेखक बहुत मुश्किल और प्रतिकूल परिस्थितियों में जैसे कैसे अपने अपने घर पहुँच रहे हैं. डॉक्टर किरण सूद, डॉक्टर ज्योति मिश्रा और गायत्री मनचंदा अभी भी शिमला में ही हैं. कल रात पहले ज्योति बक्षी और बाद में डॉक्टर प्रेरणा ठाकरे पांच से आठ घंटे पिंजौर पुल टूटने के कारण लगभग 15 किलोमीटर के जाम में फंसी रही. इसी तरह राजेश अरोड़ा, रोमी अरोड़ा, ई. एस पी सिंह और सीमा असीम भी मुश्किल से चंडीगढ़ पहुंचे और जैसे कैसे घर की राह ली. सायरी एअरपोर्ट रोड बंद होने के कारन जगदीश कश्यप जी अभी तक शिमला से घर नहीं लौट पाए हैं. जगदीश गौतम मुश्किल से आज अपने गाँव किसी वैकल्पिक मार्ग से निकल पाए हैं. लखविन्द्र यहीं कहीं देवदारुओं के साये में पंजाबी गीत गुनगुना रहे हैं. जगदीश बाली जी कहीं चंडीगढ़ जाकर फंस गए हैं. हितेन्द्र ने जहाँ दोनों दिनों की खूब लाइव और विडियो कवरेज की वहीँ कई लेखकों के साक्षात्कार भी किये. वह जैसे कैसे कुमारसेन पहुंचे. रवि और अनिल भी खूब जद्दोजहद करते हुए बिलासपुर गए. कुलमिलाकर इस बार की यात्रा जितनी कठिन, रोमांचकारी प्रकृति ने बना दी थी लेखकों ने उसी सहस और मिठास से उसे जीवंत होकर पूरा किया और भारी कठिनाइयों के बावजूद बहुत सी मधुर यादें लेकर घर लौटे हैं. हिमालय मंच उनकी असुविधा के लिए खेद व्यक्त करते हुए क्षमा ही मांग सकता है. इस यात्रा में संजय गेरा, स्टेशन अधीक्षक, शिमला उत्तर रेलवे और जोगिन्द्र सिंह वोहरा, स.स्टेशन अधीक्षक, मुख्य वाणिज्य निरीक्षक अमर सिंह ठाकुर जी शिमला उत्तर रेलवे का मार्गदर्शन और सहयोग प्रशंसनीय रहा जिनके हम आभारी हैं।

11 जुलाई 2023

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