वामदलों के अग्रणी संगठनों ने किया किसान बिलों का विरोध – प्रदेश भर में किए प्रदर्शन
वाम दलों के अग्रणी संगठनों सीटू, हिमाचल किसान सभा, जनवादी महिला समिति, डीवाईएफआई, एसएफआई, दलित शोषण मुक्ति मंच ने अपनी मांगों व तीन किसान विरोधी कानूनों को लेकर संघर्षरत किसानों के आंदोलन का पुरजोर समर्थन किया है। इन संगठनों ने केंद्र व हरियाणा सरकार द्वारा किये जा रहे किसानों के बर्बर दमन की कड़ी निंदा की है। किसानों के आंदोलन के समर्थन में प्रदेश भर के मजदूरों,किसानों,महिलाओं,युवाओं,छात्रों व सामाजिक तथा आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों द्वारा राज्यभर में प्रदर्शन करके किसानों के साथ एकजुटता प्रकट की गई। इस दौरान जिला व ब्लॉक मुख्यालयों में जबरदस्त प्रदर्शन किए गए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,किसान सभा प्रदेशाध्यक्ष डॉ कुलदीप तंवर,महासचिव डॉ ओंकार शाद सहित प्रदर्शनकारी नेताओं ने कहा है कि मोदी व खट्टर की भाजपा सरकारें किसानों को कुचलने पर आमादा हैं जोकि बेहद निंदनीय है। उन्होंने इन सरकारों को तानाशाह करार दिया है। उन्होंने कहा है कि किसान आंदोलन को दबाने से स्पष्टतः ज़ाहिर हो चुका है कि ये दोनों भाजपा सरकारें पूंजीपतियों व नैगमिक घरानों के साथ हैं व उनकी मुनाफाखोरी को सुनिश्चित करने के लिए किसानों की आवाज़ को दबाना चाहती हैं जिसे देश का मजदूर-किसान कतई मंज़ूर नही करेगा। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार किसान विरोधी नीतियां लाकर किसानों को कुचलना चाहती है।
उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीनों नए कृषि कानून पूर्णतः किसान विरोधी हैं। इसके कारण किसानों की फसलों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए विदेशी और देशी कंपनियों और बड़ी पूंजीपतियों के हवाले करने की साज़िश रची जा रही है। इन कानूनों से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा को समाप्त कर दिया जाएगा। आवश्यक वस्तु अधिनियम के कानून को खत्म करने से जमाखोरी,कालाबाजारी व मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा। इससे बाजार में खाद्य पदार्थों की बनावटी कमी पैदा होगी व खाद्य पदार्थ महंगे हो जाएंगे। कृषि कानूनों के बदलाव से बड़े पूंजीपतियों और देशी – विदेशी कंपनियों का कृषि पर कब्जा हो जाएगा और किसानों की हालत दयनीय हो जाएगी।
उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार के नए कानूनों से एपीएमसी जैसी कृषि संस्थाएं बर्बाद हो जाएंगी,न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा खत्म हो जाएगी,कृषि उत्पादों की कालाबाज़ारी,जमाखोरी व मुनाफाखोरी होगी जिस से न केवल किसानों को नुकसान होगा अपितु आम जनता को भी इसकी मार झेलनी पड़ेगी। यह सब कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। आज कृषि भारी संकट में है।