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मजदूरों की मांगों को लेकर राष्ट्र व्यापी आह्वान पर सीटू से सम्बद्ध मजदूर संगठन ने किए धरने प्रदर्शन

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सीटू के देशव्यापी आह्वान पर मजदूर संगठन सीटू द्वारा हिमाचल प्रदेश के जिला,ब्लॉक मुख्यालयों,कार्यस्थलों,गांव तथा घर द्वार पर सीटू कार्यकर्ताओं द्वारा मजदूरों की मांगों पर धरने प्रदर्शन किए गए। इस दौरान प्रदेश भर में हज़ारों मजदूरों ने अलग-अलग जगह कोविड नियमों का पालन करते हुए ये प्रदर्शन किए। इस दौरान प्रदेश भर में विभिन्न अधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपे गए व मजदूरों की मांगों को पूर्ण करने की मांग की गई। शिमला में श्रम आयुक्त कार्यालय पर होटल ईस्टबोर्न के मजदूरों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शन को सीटू नेताओं ने सम्बोधित किया व डेढ़ साल के लंबित वेतन को जारी करने की मांग की। उन्होंने ईपीएफ कमिश्नर के आदेशों को लागू करने की मांग की। उन्होंने श्रम विभाग में हुए समझौते को लागू करने की मांग की अन्यथा आंदोलन तेज होगा।

           सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कोरोना से जान गंवाने वालों को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशनुसार आपदा राहत कोष से तुरन्त चार लाख रुपये जारी करने की मांग की है। उन्होंने सभी आयकर मुक्त परिवारों को 7500 रुपये की आर्थिक मदद व प्रति व्यक्ति दस किलो राशन की व्यवस्था करने की मांग की है ताकि कोरोना महामारी से बेरोजगार हुए लोगों का जीवन यापन सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कोरोना वैक्सीन का सार्वभौमिकरण करने की मांग की है। 

     उन्होंने कहा है कि कोरोना काल में केंद्र व प्रदेश सरकारें मजदूरों,किसानों,खेतिहर मजदूरों व तमाम मेहनतकश जनता की रक्षा करने में पूर्णतः विफल रही हैं व उन्होंने केवल पूंजीपतियों की धन दौलत सम्पदा को बढ़ाने के लिए ही कार्य किया है। कोरोना काल में 97 प्रतिशत लोगों की आय पहले की तुलना में कम हुई है जबकि पूंजीपतियों की आय कई गुणा बढ़ गयी है। कोविड महामारी को केंद्र की मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के लिए लूट के अवसर में तब्दील कर दिया है। यह सरकार महामारी के दौरान स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने में पूर्णतः विफल रही है। कोरोना महामारी की आपदा में भी केंद्र सरकार ने केवल पूंजीपतियों के हितों की रखवाली की है। सरकार का रवैया इतना संवेदनहीन रहा है कि यह सरकार सबको अनिवार्य रूप से मुफ्त वैक्सीन तक उपलब्ध नहीं करवा पाई है। कोरोना काल में लगभग चौदह करोड़ मजदूर अपनी नौकरियों से वंचित हो चुके हैं परन्तु सरकार की ओर से इन्हें कोई मदद नहीं मिली। इसके विपरीत मजदूरों के 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार लेबर कोड बना दिये गए। हिमाचल प्रदेश में पांच हज़ार से ज़्यादा कारखानों में कार्यरत लगभग साढ़े तीन लाख मजदूरों के काम के घण्टों को आठ से बढ़ाकर बारह कर दिया गया। किसानों के खिलाफ तीन काले कृषि कानून बना दिये गए हैं। डॉक्टर,नर्सिंग स्टाफ,हैल्थ वर्करज़,पैरामेडिकल,सभी स्वास्थ्य कर्मियों,आशा,आंगनबाड़ी,मिड डे मील,सफाई,सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट कर्मियों,आउटसोर्स कर्मियों जैसे कोरोना योद्धाओं की रक्षा करने में यह सरकार पूर्णतः विफल रही है।इन्हें बीमा सुविधा तक देने में यह सरकार विफ़ल हुयी है। लाखों लोग महामारी की चपेट में अपनी जान गंवा चुके हैं परंतु उनके परिवार को सरकार की ओर से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। इसके बजाय खाद्य वस्तुओं,सब्जियों व फलों के दाम में कई गुणा वृद्धि करके जनता से जीने का अधिकार भी छीना जा रहा है। पेट्रोल-डीजल की बेलगाम कीमतों से जनता का जीना दूभर हो गया है। कोरोना काल में सरकारों की नाकामी के कारण देशभर में हज़ारों  मेहनतकश लोगों को आत्महत्या तक करनी पड़ी है।

           

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