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छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों द्वारा पूरी फीस वसूलने के विरोध में शिक्षा निदेशालय का किया घेराव – उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

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छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों द्वारा टयूशन फीस के साथ सभी तरह के चार्जेज़ की वसूली के खिलाफ शिक्षा निदेशालय शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। मंच ने निजी स्कूलों द्वारा छात्रों व अभिभावकों की मानसिक प्रताड़ना पर रोक लगाने की मांग की है। मंच ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर उसने एनुअल चार्जेज़ व अन्य चार्जेज़ सहित पूर्ण फीस वसूली के निर्णय को जबरन लागू करने की कोशिश की तो इसके खिलाफ जोरदार आंदोलन होगा।

          इस मुद्दे पर शिक्षा निदेशालय शिमला के बाहर अभिभावक एकत्रित हुए तथा प्रदेश सरकार,शिक्षा विभाग व  निजी स्कूल प्रबंधनों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते रहे। इसके बाद मंच का प्रतिनिधिमंडल संयुक्त शिक्षा निदेशक से मिला व उन्हें ज्ञापन सौंप कर टयूशन फीस के अलावा एनुअल चार्ज सहित सभी तरह के चार्जेज़ पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने मांग की है कि टयूशन फीस के अलावा एनुअल चार्जेज़ सहित सभी तरह के चार्जेज़ पर रोक लगाने के लिए प्रदेश सरकार व शिक्षा निदेशालय तुरन्त अधिसूचना जारी करें। मंच के सदस्यों ने शिक्षा अधिकारियों पर निजी स्कूलों पर नरम रहने का आरोप लगाया।  उन्होंने शिक्षा निदेशक को चेताया है कि अगर उन्होंने निजी स्कूलों की एनुअल चार्जेज़,कम्प्यूटर फीस,स्मार्ट क्लास रूम व अन्य चार्जेज़ की वसूली पर रोक न लगाई तो आंदोलन तेज होगा तथा 24 व 28 दिसम्बर को भी प्रदर्शन होंगे। उन्होंने निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छः लाख छात्रों के दस लाख अभिभावकों सहित कुल सोलह लाख लोगों से निजी स्कूलों की एनुअल चार्जेज़ व अन्य चार्जेज़ सहित पूर्ण फीस उगाही का पूर्ण  बहिष्कार करने की अपील की है। उन्होंने पूर्ण फीस वसूली के निर्णय को बेहद चौंकाने वाला छात्र व अभिभावक विरोधी निर्णय बताया है। इस निर्णय से  निजी स्कूलों ने छात्रों व अभिभावकों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है। 

   विजेंद्र मेहरा ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री पर अभिभावकों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने मांग की है कि सभी तरह के चार्जेज़ पर रोक लगाने के लिए तुरन्त अधिसूचना व आदेश जारी किए जाएं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि केवल अखबारी बयानों से बात नहीं बनेगी व निजी स्कूलों द्वारा वसूले जा रहे चार्जेज़ पर रोक लगाने के लिए सरकार को लिखित आदेश जारी करने पड़ेंगे। उन्होंने शिक्षा निदेशक की 8 दिसम्बर की अधिसूचना को निजी स्कूलों की मनमानी को बढ़ाने वाला कदम बताया है। उन्होंने कहा है कि इस अधिसूचना में स्कूल पीटीए व प्रबंधन को फीसों के संदर्भ में निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया है। जब स्कूल ही नहीं चले व जनरल हाउस का आयोजन नहीं हुआ तो फिर पीटीए कब,कैसे और कहां बन गयी। यह सब डम्मी पीटीए को मान्यता देने के लिए हो रहा है ताकि उन डम्मी पीटीए के ज़रिए निजी स्कूलों द्वारा सभी तरह के चार्जेज़ को वसूलने के कदम को जायज़ ठहराया जा सके। उन्होंने  माननीय उच्च न्यायालय से अपील की है कि वह निजी स्कूलों द्वारा पूर्ण फीस वसूली के मामले पर हस्तक्षेप करके प्रदेश सरकार पर कार्रवाई करे। प्रदेश सरकार उच्च न्यायालय के निर्णय की गलत व्याख्या कर रही है व अपनी सुविधा अनुसार माननीय उच्च न्यायालय के नाम पर निजी स्कूलों को छूट दे रही है। उन्होंने एनुअल चार्जेज़,कम्प्यूटर,स्मार्ट क्लास रूम फीस आदि के नाम पर मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने वाले निजी स्कूल प्रबंधनों पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए।

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