छात्र अभिभावक मंच ने प्रदेश सरकार द्वारा निजी स्कूलों व संस्थानों को पूरी फीस लेने के लिए अधिकृत करने के निर्णय के खिलाफ शिक्षा निदेशालय शिमला के बाहर ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया । मंच ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस निर्णय को तुरन्त वापिस लिया जाए व निजी स्कूलों द्वारा छात्रों व अभिभावकों की पूर्ण फीस वसूली में की जा रही मानसिक प्रताड़ना पर रोक लगाई जाए। मंच ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर उसने पूर्ण फीस वसूली के निर्णय को जबरन लागू करने की कोशिश की तो इसके खिलाफ जोरदार आंदोलन होगा। शिक्षा निदेशालय के बाहर मंच के सदस्य एकत्रित हुए तथा लगभग एक घण्टे तक प्रदेश सरकार,शिक्षा विभाग व निजी स्कूल प्रबंधनों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते रहे। प्रदर्शनकारी निजी स्कूलों की लूट व खुली मनमानी के खिलाफ आंदोलनरत रहे।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा,सदस्य विवेक कश्यप,सत्यवान पुंडीर व जियानंद शर्मा ने निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छः लाख छात्रों के दस लाख अभिभावकों सहित कुल सोलह लाख लोगों से निजी स्कूलों की पूर्ण फीस उगाही का पूर्ण बहिष्कार करने की अपील की है। उन्होंने पूर्ण फीस वसूली पर कैबिनेट के निर्णय को बेहद चौंकाने वाला और छात्र व अभिभावक विरोधी निर्णय बताया है। इस निर्णय के आने के बाद निजी स्कूलों ने छात्रों व अभिभावकों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है। निजी स्कूलों व संस्थानों ने दोबारा से छात्रों व अभिभावकों को पूर्ण फीस जमा करने के लिए मोबाइल मैसेज भेजना शुरू कर दिए हैं। इन मैसेज में उन्हें डराया धमकाया जा रहा है कि अगर पूर्ण फीस जमा न की गई तो छात्रों को न केवल संस्थानों से बाहर कर दिया जाएगा अपितु उन्हें परीक्षाओं में भी नहीं बैठने दिया जाएगा। ऐसे अनेकों उदाहरण प्रदेश में देखने को मिल रहे हैं।
विजेंद्र मेहरा ने उच्च न्यायालय से अपील की है कि वह निजी स्कूलों द्वारा पूर्ण फीस वसूली के मामले पर हस्तक्षेप करके प्रदेश सरकार पर कार्रवाई करे। प्रदेश सरकार उच्च न्यायालय के निर्णय की गलत व्याख्या कर रही है व अपनी सुविधा अनुसार माननीय उच्च न्यायालय के नाम पर निजी स्कूलों को छूट दे रही है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा आज तक माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 27 अप्रैल 2016 को निजी स्कूलों की लूट को रोकने के संदर्भ में दिए गए ऐतिहासिक निर्णय को लागू नहीं किया गया है। यह न्यायालय के आदेशों की अवहेलना है।