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मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कोरोना काल में बर्बाद हुए एक साल की भरपाई के लिए तीव्र गति से काम करने के दिये निर्देश – कहा, परियोजनाओं को समयबद्ध करें पूरा

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विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं की प्रगति को हिम प्रगति पोर्टल पर शीघ्र अपलोड किया जाना चाहिए, ताकि इन परियोजनाओं की नियमित रूप से उच्च स्तरीय निगरानी की जा सके और इनके क्रियान्वयन में अनावश्यक देरी से बचा जा सके। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज प्रदेश में क्रियान्वित की जा रही प्रमुख परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य की सभी प्रमुख परियोजनाएं समयबद्ध पूर्ण हों। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण लगभग एक वर्ष खराब हो गया है, इसलिए कार्य और दृढ़ता से किये जाने चाहिए, ताकि इन्हें निर्धारित समय पर पूर्ण किया जा सके।

उन्होंने कहा कि पूर्ण हो रही परियोजनाओं पर विशेष बल दिया जाना चाहिए, ताकि उन्हें शीघ्र पूरा किया जा सके। इससे न केवल परियोजनाओं की लागत में वृद्धि पर रोक लगेगी, बल्कि प्रदेश के लोग भी इससे लाभान्वित होंगे।

जय राम ठाकुर ने कहा कि विभिन्न परियोजनाओं से संबंधित हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों का सक्रियता से फाॅलो-अप किया जाना चाहिए, ताकि इन्हें शीघ्र क्रियान्वित किया जा सके। उन्होंने कहा कि कृषि, शिक्षा, आवास, उद्योग आदि से संबंधित हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों में तेजी लानी चाहिए और वन तथा अन्य स्वीकृतियां उपलब्ध करवाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि उन परियोजनाओं पर विशेष बल दिया जाना चाहिए, जो अधिक व्यवहारिक है और डवेल्पर जिन्हें शीघ्र पूर्ण करने के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि मलवे की डंपिंग के लिए उपयुक्त स्थान चिन्हित किया जाना चाहिए, ताकि निष्पादनकर्ता को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि उद्यमियों को सभी प्रकार की स्वीकृतियां निर्धारित समय पर उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, ताकि वे परियोजनाओं का कार्य आरंभ कर सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन निवेशकों ने प्रदेश में विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए हैं उनके साथ अलग से बैठक आयोजित की जानी चाहिए, ताकि उनकी समस्याओं को शीघ्र सुलझाया जा सके। उन्होंने कहा कि इससे निवेशकों को उनकी समस्याएं सरकार के समक्ष रखने का अवसर प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि इससे उनकी समस्याओं के त्वरित समाधान में सहायता मिलेगी और चल रही परियोजनाओं को विशेष बल मिलेगा।

जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में कार्यान्वित की जा रही परियोजनाओं के कार्य में हो रही अनावश्यक देरी को गंभीरता से लिया जाएगा और इसके लिए जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि जवाबदेही अन्य अधिकारियों पर स्थानांतरित न की जाए। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी ने प्रदेश के विकास को बुरी तरह से प्रभावित किया है और अब स्थिति नियंत्रण में लग रही है और समय के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि 7 व 8 नवम्बर, 2019 को आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्ज मीट ने 96 हजार करोड़ रुपये निवेश के समझौता ज्ञापनों को आकर्षित किया था। उन्होंने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्ज मीट के दो माह के भीतर 13 हजार 500 करोड़ रुपये की हस्ताक्षरित परियोजनाओं की ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी आयोजित की गई और 10 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं ग्राउंड ब्रेकिंग के लिए तैयार है। उन्होंने अधिकारियों को विभिन्न क्षेत्रों में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों के फाॅलो-अप के निर्देश दिए, ताकि इन्हें अमल में लाया जा सके।

जय राम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणाओं को विशेष प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सभी प्रारम्भिक कार्य जैसे कि मुख्यमंत्री की घोषणाओं के बारे में आकलन और ड्राॅइंग इत्यादि एक माह के भीतर कार्यान्वित किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश अपने पूर्ण राज्यत्व के 50 वर्ष मना रहा है। इसलिए अधिकारियों को इस समारोह को शानदार तरीके से मनाने के लिए सुझाव देने चाहिए। प्रदेश सरकार राज्य की स्वर्ण जयंती को मनाने के लिए 51 इवेंट आयोजित करने की योजना बना रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी उपायुक्तों को अपने जिले में चल रही परियोजनाओं की निगरानी के लिए एक तंत्र विकसित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आम तौर पर कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का कार्य छोटे-छोटे कारणों से अधूरा रहता हैै, जिन्हें उनमें हस्तक्षेप से सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं में देरी को गम्भीरता से लिया जाएगा और जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

जय राम ठाकुर ने कहा कि एम्स बिलासपुर, राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय नाहन, हमीरपुर, चम्बा और आईजीएमसी शिमला के सुपर स्पेशियलिटी ब्लाॅक जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का कार्य समय अवधि के भीतर पूर्ण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं जैसे कि 800 करोड़ रुपये की वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबन्धन एवं आजीविका में सुधार परियोजना, एडीबी वित्त पोषित 679 करोड़ रुपये का चरण द्वितीय क्लीन एनर्जी ट्रांसमिशन इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम, एडीबी वित्त पोषित 956 करोड़ रुपये का चरण तृतीय क्लीन एनर्जी ट्रांसमिशन इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम, एडीबी वित्त पोषित 650 करोड़ रुपये की हिमाचल प्रदेश कौशल विकास परियोजना, विश्व बैंक पोषित 280 करोड़ रुपये की शिमला जल आपूर्ति एवं निकास प्रणाली परियोेजना और 800 करोड़ रुपये की हिमाचल प्रदेश राज्य सड़क ट्रांसमिशन परियोजनाओं का उचित फाॅलो-अप किया जाना चाहिए।

मुख्य सचिव अनिल खाची ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि अधिकारी परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अधिक निष्ठा से कार्य करेंगे, ताकि इनका कार्य निर्धारित समय पर पूर्ण किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार ने निवेशकों को विभिन्न स्वीकृतियां प्राप्त करने में सहायता प्रदान करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि वांछित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अधिक सक्रिय दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

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