मुख्यमंत्री ने प्रदेश विश्वविद्यालय में की स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का योगदान विषय पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता, स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का बताया महत्वपूर्ण योगदान
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के जनजातीय अध्ययन संस्थान, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग नई दिल्ली और अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के सभागार में ‘स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का योगदान’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों से संबंध रखने वाले वीर नायकों का स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान रहा है। तिलका मजही ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अत्याचारों के विरुद्ध पहाड़िया जनजाति को संगठित कर कंपनी कोष पर आक्रमण किया जिसके लिए उन्हें फांसी की सजा दी गई। भगवान बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश राज खत्म करने के लिए आंदोलन किया। इसी तरह थालाकाल चन्थू, नीलाम्बर, राधो जी भांगरे सहित अनेकों जनजातीय वीरों ने आज़ादी के संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लिया। इन वीर नायकों को कई यातनाएं झेलनी पड़ी। कई स्वतंत्रता सेनानियों को जेल भेजा गया और इनमें से कई वीरों को फांसी की सजा भी हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लाहौल स्पीति जिला के मुंशी सजे राम, ठाकुर देवी सिंह, ठाकुर शिव चंद, किन्नौर जिला के जंगी राम और भाग सरन जैसे अनेक नायकों ने आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जय राम ठाकुर ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान हमें ऐसे अनेक स्वतंत्रता सेनानियों की गौरव गाथाओं को जानने का अवसर मिला जो अब तक गुमनाम थे। उन्होंने कहा कि युवाओं को भारत के इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है। आजादी का अमृत महोत्सव उन महान स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने का सुनहरा अवसर है जिन्होंने देश की आन बान और शान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के अवसर पर हर घर में तिरंगा फहराने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘हर घर तिरंगा’ अभियान शुरू किया। इस पहल का उद्देश्य लोगों में देशभक्ति की भावना जागृत करना और जनभागीदारी की भावना से आजादी का अमृत महोत्सव मनाना था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार द्वारा हर वर्ग और क्षेत्र का समान विकास सुनिश्चित किया जा रहा है। जनजातीय उप योजना के तहत जनजातीय क्षेत्रों के लिए वर्ष 2018-19 से लेकर 2022-23 तक 3619 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। इस अवधि के दौरान जनजातीय उप योजना के अंतर्गत परिवहन, सड़कों, पुलों और भवन निर्माण के लिए 1000 करोड़ रुपये से अधिक का बजट उपलब्ध करवाया गया।
उन्होंने कहा कि विगत पौने पांच वर्षों के दौरान प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में कनेक्टिविटी मज़बूत की गई है और एफआरए के तहत जनजातीय क्षेत्र के लोगों को खेती के लिए भूमि प्रदान की जा रही है।
उन्होंने कहा कि जनजातीय उपयोजना के तहत प्रदेश में चार एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय हैं। प्रदेश सरकार जनजातीय वर्ग की जरूरतों पर विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने ‘स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का योगदान’ कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजकों की सराहना की। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय में एल्युमनी भवन निर्माण के लिए दो करोड़ रुपए देने की घोषणा की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का योगदान विषय पर आयोजित प्रदर्शनी का शुभारंभ भी किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्वतन्त्रता सेनानी दयानंद नेगी को सम्मानित किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता शरद चव्हाण ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों ने निरंतर संघर्ष किया। इन नायकों ने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा कि जनजातीय नायकों का इतिहास सर्वव्यापी रहा और सर्वस्पर्शी है। उन्होंने कहा कि इन नायकों के जीवन मूल्यों के बारे में युवाओं को जागरुक किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य मिलिंद थत्ते ने आयोग के कार्यों और गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत प्रकाश बंसल ने मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया।
इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रोफेसर ज्योति प्रकाश और प्रोफेसर चंद्र मोहन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. राकेश नेगी ने गणमान्य व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम के उपाध्यक्ष सूरत सिंह नेगी, सामान्य उद्योग निगम के निदेशक नीरज शर्मा, पुलिस अधीक्षक डॉ. मोनिका, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक हरबंस सिंह ब्रसकोन, अधिष्ठाता अध्ययन प्रोफेसर कुलभूषण चंदेल, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य प्रोफेसर नागेश ठाकुर, बौद्ध अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष प्रोफेसर राजेश शर्मा, विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ.अपर्णा नेगी, प्रोफेसर संजय शर्मा, परीक्षा नियंत्रक डॉ. जोगिंदर सिंह नेगी, विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, विद्यार्थी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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