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देश का सबसे पुराना अस्पताल बदहाली के आंसू रोने को मजबूर, स्टाफ की कमी का खामियाजा भुगत रहे हैं मरीज

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देश का सबसे पुराना अस्पताल दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल इन दिनों बदहाली के दौर से गुजर रहा है और यहां भर्ती मरीज और यहां आपातकाल में आने वाले मरीज राम भरोसे है । इस जोनल अस्पताल की स्थिति बेहद दयनीय है । लंबे समय से यहां चल रही स्टाफ की कमी के कारण आम लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है । सरकार ने कोविड के दौरान तैनात नर्सों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है जिसके विरोध में करीब 15 नर्सें हड़ताल पर हैं इनमें से अकेले आपातकालीन सेवा में कार्यरत 10 नर्सें शामिल हैं । 1970 में अब से करीब 53 वर्ष पूर्व यहां 46 नर्सें थी जबकि वर्तमान में केवल 13 नर्सों के भरोसे पूरा अस्पताल चल रहा है । वहीं 21 फार्मासिस्ट थे जबकि वर्तमान में केवल 7 फार्मासिस्ट कार्यरत हैं । हैरानी की बात ये है कि जब भी अस्पताल प्रशासन की सरकार के साथ बैठक होती है अस्पताल के उच्चाधिकारी सरकार को यहां की बदतर हालत को अवगत करवाते हैं लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगती । कहने को तो सरकार निरंतरता में चलती है लेकिन असलीयत उसके एकदम विपरीत है और यही वजह है कि सबसे मुश्किल कोरोना काल में अपनी जान को जोख़िम में डालकर सेव्हआ देने वाली इन नर्सों को आज सरकार द्वारा दूध से मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दी जा रही है और वह अब अपनी रोजी-रोटी के लिए भी तरसने को मजबूर है । सरकार को चाहिए था कि यहां होने वाली भर्ती के लिए कोविड काल में तैनात नर्सो को प्राथमिकता देते या उनकी सेवाओं को बरकरार रखा जाता लेकिन सरकार ने यह जहमत नहीं उठाई जिसका खामियाजा अस्पताल प्रशासन और यहां आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है । अस्पताल में नसों को तीन शिफ्ट में ड्यूटी देनी होती है ऐसे में केवल तेरह स्टाफ नर्सो के भरोसे इतने बड़े अस्पताल को और वह भी जोनल अस्पताल को चलाना कितना मुश्किल होता है इसे इसका अंदाजा अनायास ही लगाया जा सकता है । एक आम आदमी भी इस बात को समझ सकता है लेकिन ना तो स्वास्थ्य सचिव , न स्वास्थ्य मंत्री और न ही प्रदेश के मुखिया इसकी गंभीरता को या समस्या को समझ पा रहे हैं । यही नहीं यहां अस्पताल में स्टाफ की खासकर मिनिस्टर स्टाफ की भी भारी कमी है डी डी यू अस्पताल में केवल दो क्लर्क अपनी सेवाएं दे रहे हैं और यहां मात्र 30 ही चिकित्सक है जबकि जोनल अस्पताल धर्मशाला और मंडी में भी इससे कहीं अधिक स्टाफ रखा गया है । इस समस्या को लेकर जब स्वास्थ्य निदेशक डॉक्टर गोपाल बेरी से बात की गई तो उन्होंने हमारी सूचना को ही पूरी तरह से गलत ठहराया और कहा कि डीडीयू अस्पताल से कोई भी नर्स हड़ताल पर नहीं है और ना ही यहां स्टाफ की किसी तरह की कमी है । तो इसे क्या समझा जाए क्या निदेशक महोदय सरकार की खामी को छुपाना चाहते हैं या आम जनता की आंखों में धूल झोंकना चाह रहे हैं ।

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