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प्रदेश विश्वविद्यालय के 52वें स्थापना दिवस की राज्यपाल ने की अध्यक्षता, मुख्यमंत्री ने कहा विश्वविद्यालय की स्वायत्तता रखी जायेगी बरकरार

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राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के 52वें स्थापना दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय परिवार को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शिक्षा जीवन का आधार है, हर व्यक्ति जीवनभर शिक्षा प्राप्त करता है लेकिन यह जानना महत्त्वपूर्ण है कि हमारी शिक्षा का लक्ष्य क्या होना चाहिए। शिक्षा देने वाले और शिक्षा ग्रहण करने वाले दोनों को यह पता होना चाहिए कि वह क्या शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। हमारी उच्च परम्पराओं से इसे कैसे जोडं़े और कौन-कौन से विषय होने चाहिए, इस पर कार्य किया जाना चाहिए।

राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का भविष्य इस पर निर्भर करता है कि हम युवा पीढ़ी को क्या विचार दे रहे हैं। यह आवश्यक है कि उनमें सामाजिक और राष्ट्र हित के विचार जागृत किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति को आघात पहंुचाने के लिए आक्रांताओं ने हमारी शिक्षा प्रणाली को समय-समय पर निशाना बनाया।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का वैभवपूर्ण और प्रगतिशील इतिहास रहा है। 51 वर्ष की लम्बी यात्रा के दौरान विश्वविद्यालय ने अकादमिक और शोध गतिविधियों में अनेक मील के पत्थर स्थापित किए हैं।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों ने ज्ञान, विज्ञान, कला और तकनीक के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि इस परम्परा को और सशक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि शिक्षा के लाभ हमारे व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ समाज और देश को समर्पित किए जाने चाहिए।

राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि बेहतर समाज की स्थापना के लिए सभी को विकास की यात्रा में पीछे रहे लोगों को आगे बढ़ने के लिए संवेदनशीलता के साथ योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपनी युवा शक्ति को बौद्धिक ज्ञान प्रदान कर रचनात्मक दिशा प्रदान करनी चाहिए। यह हमारा दायित्व है कि हम समसामयिक चुनौतियों का सामना करने के लिए युवाओं में योग्यता और साहस विकसित करें, तभी विश्वविद्यालय सही मायनों में अपनी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को शोध का केंद्र बनाया जाना चाहिए जहां शिक्षा का आधार चरित्र निर्माण हो। उन्होंने गुणात्मक शिक्षा के साथ-साथ विश्वविद्यालय के ग्रेड को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।

राज्यपाल ने कहा कि वह समुद्र की लहरों की भावनाओं को यहां पहुंचाने के लिए प्रयास करेंगे।

इससे पूर्व राज्यपाल ने कुलपति कमेेटी कक्ष का लोकार्पण किया।

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के 52वें स्थापना दिवस के अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने शिक्षा, शोध और प्रौद्योगिकी के शिक्षण और सीखने में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने उच्चस्तरीय नौकरियों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ-साथ व्यक्तित्व के विकास के जरूरी शिक्षा भी प्रदान की है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने छात्रों को समुदाय में सत्त विकास की चुनौतियों का सामना करने, जन जागरूकता बढ़ाने, निर्णय लेने और जिम्मेदार व्यवहार के लिए पूर्व शर्त प्रदान करने के लिए आवश्यक नया ज्ञान और कौशल प्रदान करने में मदद की है।

जय राम ठाकुर ने कहा कि विश्वविद्यालय को विभिन्न लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अत्यधिक कुशल जन शक्ति तैयार करने और अनुसंधान करने का सबसे महत्त्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 तैयार की है, जिसका लक्ष्य मुक्त और दूरस्थ शिक्षण के लिए आधारभूत ढांचे को सशक्त बनाना, आॅनलाइन शिक्षा और प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ाकर छात्रों के समग्र व्यक्तित्व का विकास करना है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि नई शिक्षा नीति छात्रों को नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने में मदद करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान भी यह सुनिश्चित किया है कि विकास निर्बाध गति से चलता रहे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व की स्वर्ण जंयती को मनाने के लिए राज्य स्तर पर 51 कार्यक्रमों के आयोजन की योजना तैयार की परन्तु महामारी के कारण इस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस उपयुक्त तरीके से मनाने के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय में 150 शिक्षक नियुक्त करने और 12 नए संकाय शुरू करने के लिए भी विश्वविद्यालय की सराहना की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विश्वविद्यालय के प्रभावी कामकाज के लिए हर संभव मदद प्रदान करेगी।

जय राम ठाकुर ने कहा कि महामारी के दौरान सभी को बेहतरीन उपचार सुविधा प्रदान करने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए। उन्होंने कहा कि राज्य में किसी भी मरीज को उचित उपचार, आॅक्सीजन व दवाओं की कमी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा आरम्भ किए गए टीकाकरण अभियान की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सराहना की है। उन्होंने कहा कि राज्य ने वैक्सीन का शून्य क्षय सुनिश्चित किया गया है और जनजातीय जिलों में वैक्सीन की पहली खुराक का शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत विश्वविद्याय में पर्याप्त पार्किंग का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के बेहतर कामकाज के लिए प्रदेश सरकार विश्वविद्यालय की स्वायतता को बरकरार रखना सुनिश्चित करेगी। उन्होंने विश्वविद्यालय की 50 साल की यात्रा के सम्बन्ध में विशेष कार्यक्रम आयोजित करने और विश्वविद्यालय के निर्माण में योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित करने का सुझाव दिया।

इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय परिसर में लगभग 6.73 करोड़ रुपये की लागत की विकासात्मक परियोजाएं समर्पित की। उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के परिसर में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का अनावरण भी किया। इसकी स्थापना पर 20 लाख रुपये व्यय किए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने शिक्षक काॅलोनी में 16 लाख रुपये की लागत से निर्मित ट्रांसफाॅर्मर हाॅल, 36 लाख रुपये की लागत से सौंदर्यीकरण कार्य और पार्किंग, 1.12 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित माॅडल स्कूल के चैथे चरण, 1.49 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित अकादमिक स्टाफ काॅलेज के फैकल्टी हाउस की अतिरिक्त मंजिलों और 49 लाख रुपये की लागत से निर्मित परीक्षा स्टोर और तीन दुकानों, 1.07 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित पुस्तकालय भवन 1.49 करोड़ रुपये की लागत से संकाय अतिथि गृह का जीर्णोधार, 35 लाख रुपये की लागत से विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति कार्यालय के सामने सौन्दर्यीकरण कार्य व पार्किंग को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि इन सुविधाओं से शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारियों के साथ छात्रों को सुविधा प्रदान करने में मदद मिलेगी।

शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि देश के अनेक व्यक्तित्वों ने इस विद्यालय से शिक्षा ग्रहण की है जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री आनंद शर्मा, पूर्व राज्यपाल अश्विनी कुमार, पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, पीजीआई और एआईआईएमएस के वर्तमान निदेशक तथा अनेक प्रमुख लोग शामिल हैं।

सुरेश भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने भी इसी विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की है वह विश्वविद्यालय के प्रथम विधि स्नातक है।

शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने विश्वविद्यालय के 52वें स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि 51 वर्षों के दौरान विश्वविद्यालय में आशातीत विकास हुआ है। आज विश्वविद्यालय में 13 संकाय, 9 परिसर और 47 विभाग तथा 18 विशेष अध्ययन केंद्र हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए विश्वविद्यालय में 13 पीठ स्थापित किए गए हैं जिनमें शिक्षण और शोध कार्य किया जा रहा है। यह पीठ हमें राष्ट्र निर्माताओं के सिद्धांतों के बारे में अवगत करवाती है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 34 वर्षों के बाद देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति कार्यान्वित की है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह शिक्षा नीति भारत को ज्ञान की महाशक्ति बनाएगी।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सिकन्दर कुमार ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तित्वों का स्वागत करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय विकास के पथ पर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की गतिविधियों में विस्तार किया गया है। नए छात्रावास और विभाग खोले गए हैं। उन्होंने विश्वास दिलाया कि भविष्य में विश्वविद्यालय की ग्रेडिंग में और सुधार होगा।

इस अवसर पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय की पत्रिकाएं जारी की। उन्होंने सराहनीय सेवाओं के लिए विभिन्न व्यक्तियों को भी सम्मानित किया।

रजिस्ट्रार सुनील शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के सदस्य, विश्वविद्यालय कोर्ट के सदस्य, संस्थापक निदेशक, विभागाध्यक्ष और गैर शिक्षक कर्मचारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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