मंडी में बही कविता की स्वर लहरियाँ,राज्य स्तरीय कवि सम्मेलन में प्रदेश के प्रख्यात कवियों ने अपनी दिलकश कविताओं से श्रोताओं को किया मंत्र मुग्ध

काव्य संसार के तत्वावधान में मंडी में राज्य स्तरीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें हिमाचल गौरव 2020 से सम्मानित बीरबल शर्मा में मुख्य अतिथि रहे
वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार कृष्ण चंद महादेविया ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
पुरातत्व चेतना संघ के अध्यक्ष एवं हिमाचल गौरव बीरबल शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि काव्य संसार संस्था द्वारा मंडी में आयोजित किया गया कार्यक्रम कविता के विभिन्न प्रकार के रसों की अमिट छाप छोड़ गया उन्होंने कहा कि कवि एवं साहित्यकार अपने आप में एक चलता फिरता संग्रहालय होता है और जो हमने संग्रह किया है उसको भविष्य की आने वाली पीढ़ियों के लिए संजो कर रखना हमारी जिम्मेदारी है यह चाहे विचार हो वस्तु हो या अन्य कुछ उपयोगी चीज हो उन्होंने उपस्थित कवियों और श्रोताओं को इस कार्यक्रम की बहुत-बहुत बधाई दी और आशा व्यक्त की कि साहित्य से जुड़ा हर व्यक्ति अपनी कलम से सामाजिक जीवन में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से काम करेगा। इस काव्य पाठ में पवन मिश्रा की कविता
” जब रुकने लगे कदम तो मां तुम याद आ गई जब टूटने लगा हौसला तो मां तुम याद आ गई “
शशि शर्मा ने खूबसूरत कविता से अपने दिल की बात श्रोताओं तक कुछ इस तरह से पहुंचाई “तेरे दिल में ही रहते हैं किसी से कह नहीं सकते तेरी आंखों के पानी में मगर हम रह नहीं सकते और छुपा हो दुश्मन आस्तीन में सांप को रखा हाथ में खंजर की दुश्मन के रूप में काम हो तना हुआ है हिमालय सीने में ब्रह्मोस सा जुनून है सब रखने वाले से पूछ कि बिन तेरे जिंदगी में कितना सुकून है ” दिल की दास्तां वाली इस कविता ने खूब वाहवाही बटोरी
लाल सिंह ठाकुर द्वारा कन्या भूण हत्या पर दबी चीखें
आसमान टूटने का डर भी नहीं गुरुत्व घटने का भय भी नहीं सूर्य राशि धरा तारामंडल में ही लिख क्रम पर अधिक है फिर ये दबी चीखें कहां से आ रही हैं
संजय संख्यान द्वारा अब में पीने लगा हूं प्रेम की मदिरा में अब मैं जीने लगा हूं
मुरारी शर्मा द्वारा उजाले की ओर कविता में दोस्त बचा कर रखना चाहता हूं तुम्हें……..
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कृष्ण चंद्र महादेविया द्वारा कविता टोपी उल्टा कर देखें भरे हैं हीरे मोती इसमें कुर्सी में फंसे हैं नुस्खे देखो इस बहरूपिया टोपी में
हरी प्रिया शर्मा द्वारा कविता इस चुप रहने की सभी को मिल सकती है सजा जब बोला जाना चाहिए था झूठ के विरुद्ध सच के पक्ष में ही बैठे रहे चुप जब भोला जाना चाहिए था गलत को ठीक करने के लिए तब भी वे रहे मौन
करिश्मा ठाकुरद्वारा आओ के फूल बरसाए के नव वर्ष सुहाना आया है पहले पन्ने पर शुभ लिखवाये के नव वर्ष सुहाना आया है देखो हिमालय झूम-झूम डोला
पहनकर श्वेत बर्फ का चोला
एवं जगदीश कपूर ने अपनी कविताओं से भरपूर वाहवाही लूटी