Today News Hunt

News From Truth

शिमला के आर टी ऑफिस के समीप सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाकर किया अतिक्रमण, विभाग ने मूंदी आंखें

1 min read
Spread the love

राजधानी शिमला में आए दिन अतिक्रमण की खबरें सुर्खियों में रहती हैं लेकिन नगर निगम शिमला है कि जिसके कान पर जूं तक नहीं रेंगती और वह उस कबूतर की तरह है जो बिल्ली को देख कर अपनी आंखें मूंद कर यह सोच लेता है कि उसे बिल्ली ने देखा ही नहीं । एक ऐसा ही मामला सामने आया है शिमला के आर. टी. ऑफिस के समीप जहां पर स्मार्ट सिटी के तहत बन रहे पैदल मार्ग को काटकर एक व्यक्ति ने अनाधिकृत रूप से अपना ढारा ही बना डाला । हैरानी की बात यह है कि नेशनल हाईवे पर हुए इस अतिक्रमण पर न तो प्रशासन और न ही शिमला नगर निगम की नज़र गई या यूं कहें कि जानबूझकर इन विभागों के अधिकारियों ने अपनी आंखें मूंद डाली है । ऐसी जानकारी है कि इस व्यक्ति की राजनीति में अच्छी पकड़ है और राजनेताओं और अधिकारियों के साथ इसके अच्छे संबंध है, लेकिन क्या राजनीतिक पेंठ नियम कानून तोड़ने के लिए होती है ।

इस पूरे मामले में जब हमने स्थानीय पार्षद सिम्मी नन्दा से बात की तो उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें इस जगह पर अतिक्रमण किए जाने की जानकारी है और इसके लिए पैदल मार्ग के लिए लगाए गए लोहे के एंगल काटे गए हैं जो सरकारी सम्पत्ति को सरेआम नुकसान पहुंचाने वाली हरकत है । लेकिन हैरान कर देने वाली बात ये है कि सारी जानकारी होने के बावजूद पार्षद ने अतिक्रमणकारी के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई करने में अपने हाथ खड़े कर दिए हैं । आश्चर्यजनक ये है कि चुनाव पूर्व जनहित के बड़े बड़े दावे करने वाले ये जनप्रतिनिधि आम जनता के हित भूल कर अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए अपने सभी वादों और आश्वासनों को भूल जाते हैं ।

राजनीति में ऊंची पहुंच रखने वाले और नियम व कानून को ठेंगा दिखाने वाले इस व्यक्ति के खिलाफ नगर निगम शिमला और प्रशासन के अधिकारी कार्रवाई करते हैं या नहीं यह देखने वाली बात होगी । लेकिन एक बात तय है कि एक व्यक्ति की देखा देखी इस तरह का अतिक्रमण और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की हिमाकत अन्य लोग भी कर सकते हैं और अगर ऐसा होता है तो फिर सरकार प्रशासन और नगर निगम के लिए सरकारी संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने वाले लोगों की हिमायत करना और भाई भतीजावाद का रास्ता अख्तियार करना काफी महंगा पड़ सकता है ।

गौरतलब है कि पूर्व की भाजपा सरकार में भी शिमला के आई एस बी टी में बने पैदल मार्ग को तोड़कर वहां दुकाने बना दी गई थी और उसकी जानकारी के बावजूद न तो अधिकारियों ने और न ही प्रशासन ने कोई कार्रवाई अमल में लाई थी । इन सब घटनाओं से एक बात तो साफ है कि नाम के लिए व्यवस्था परिवर्तन भले ही हुआ हो असल में वही ढाँक के तीन पात है । सरकार जिस भी पार्टी की हो ऊंची पहुंच रखने वालों और राजनीतिज्ञों के चहेतों की हमेशा पौबारह रहती है और ये खुलेआम आमजनता को नाक चिढ़ाते हुए कहते हैं कि जिसकी चलती है उसकी क्या गलती है ।

About The Author

You may have missed