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विद्युत चालित वाहनों के लिए हिमाचल बनेगा आदर्श राज्य, हर ज़िले में दो पंचायतें होंगी हरित पंचायतों के रूप में विकसित

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मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा प्रदेश विधानसभा में प्रस्तुत अपनी तरह के पहले हरित बजट में प्रदेश के लिए आर्थिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से होने वाले मुनाफे के बीच संतुलन साधते हुए परंपरागत बसों को ई-बसों से बदलने के लिए एक हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश विद्युत चालित वाहनों के लिए एक आदर्श राज्य के रूप में उभरेगा।
हरित राज्य की ओर कदम आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री ने निजी ऑपरेटरों को ई-बसों तथा ई-ट्रकों की खरीद के लिए 50 प्रतिशत उपदान, अधिकतम 50 लाख रुपये तक प्रदान करने की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने राज्य की 18 वर्ष या इससे अधिक आयु की 20 हजार होनहार छात्राओं को इलेक्ट्रिक स्कूटी की खरीद के लिए 25 हजार रुपये का उपदान प्रदान करने की भी घोषणा की है।
उन्होंने प्रदेश में इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के इच्छुक निजी निवेशकों को 50 प्रतिशत उपदान की घोषणा की है। व्यवहार्यता को देखते हुए भविष्य में इस उपदान में बढ़ोतरी भी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य में युवाओं को विभिन्न रूटों पर ई-बसें चलाने के लिए परमिट भी जारी किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने नादौन में ई-बस डिपो स्थापित करने और शिमला बस अड्डे को ई-डिपो में परिवर्तित करने की भी घोषणा की। प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को ग्रीन कोरिडोर में विकसित करने का प्रस्ताव है।
परिवहन क्षेत्र से प्रदेश के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल असर, ग्रीन हाउस गैसों के दूरगामी प्रभावों तथा ईंधन की बढ़ती कीमतों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा प्रस्तुत हरित बजट से हिमाचल को हरित ऊर्जा राज्य बनाने की राह संभव हो सकेगी। इसके अतिरिक्त, ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के साथ ही हिमाचल राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन ऊर्जा अभियान के साथ आगे बढ़ने के लिए भी तैयार है। हिमाचल ने विद्युत चालित वाहनों के लिए ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित करने के लिए जाइका से भी सहयोग के लिए हाथ बढ़ाए हैं और यह इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लक्ष्यों को हासिल करने में दूरगामी सिद्ध होगा।
उन्होंने राज्य के प्रत्येक जिले में पायलट आधार पर दो पंचायतों में 500 किलोवाट से एक मैगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर इन्हें हरित पंचायतों के रूप में विकसित करने की भी घोषणा की है। प्रदेश के युवाओं को अपनी अथवा पट्टे पर ली गई भूमि पर 250 किलोवाट से दो मैगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने पर 40 प्रतिशत उपदान का भी प्रावधान किया गया है।
इससे राज्य में वृहद् स्तर पर विद्युत ग्रिड सुरक्षा उपलब्ध हो सकेगी और विशेष तौर पर यह प्रकृति अथवा मानव जनित आपदाओं में प्रभावी होगी। सौर ऊर्जा पैनल पर अनुदान के अलावा उत्पादकों को शून्य बिजली बिल के साथ ही बिजली वापिस ग्रिड को बेचने से आय का साधन भी उपलब्ध होगा।
प्रदेश सरकार स्वयं भी सौर ऊर्जा संयंत्रों में निवेश करेगी और वर्ष 2023-24 में 500 मैगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी।
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