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प्रदेश विश्वविद्यालय के विधिक अध्ययन संस्थान शिमला में “कार्यस्थल पर महिला यौन उत्तपीड़न विषय” पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन,उपकुलपति ने लैंगित समानता के लक्ष्य को नई शिक्षा नीति में बताया अंतर्निहित

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नई शिक्षा नीति में ही लैंगित समानता का लक्ष्य अंतर्नीहित है। आज जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं और साथ ही आजादी का अमृत महोत्सव भी मना रहे है ऐसे अवसर पर महिला सशक्तिकरण की बात करना और भी आवश्यक हो जाता है। यह बात हिमाचल प्रदेश विश्वविद्याल के माननीय उप-कुलपति डॉ. (प्रो.) सत प्रकाश बंसल ने हिमाचल प्रदेश विधिक अध्ययन संस्थान शिमला में “कार्यस्थल पर महिला यौन उत्तपीड़न विषय” पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान कही। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित प्रो. बंसल ने यह भी कहा की कार्यस्थल पर महिला यौन उत्तपीड़न का सवाल अक्सर उस समाज और देश में आता है जहां लैंगिक असमानता का स्तर शोचनीय है।

विशिष्ट अतिथि के तौर पर कार्य़क्रम में उपस्थित पुलिस अधीक्षक जिला शिमला मोनिका भूटुंगरू ने कहा की महिला यौन उत्तपीड़न लिंग-जाति विशेष का मुद्दा कम और अपराधी की मनोवैज्ञानिक दशा का ज्यादा है। इससे संबंधित कोई भी कानून समाज के सहयोग के बिना सफल नहीं हो सकता। कार्यस्थल पर महीला यौन उत्पीड़न जब तक कार्यपरंपरा के तौर पर स्वीकार किया जाता रहेगा तब तक इस समस्या से निपटना कठिन है।

संगोष्ठी में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सांध्यकालीन अध्ययन केंद्र की प्राचार्या प्रो. मीनाक्षी पॉल ने कहा कि महिला यौन उत्तपीड़न के मसले पर बात करने से पहले हमें यह देखना चाहिए कि इस मुद्दे के प्रति व्यक्ति का क्या नज़रिया है।

संगोष्ठी में देश के दस से ज्यादा राज्यों के 35 शोधार्थियों ने ऑफलाईन एवं ऑनलाइन मोड में कार्यस्थल पर महिला यौन उत्तपीड़न विषय के विभिन्न आयामों पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। इस मौके पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्याल के माननीय उप-कुलपति डॉ. (प्रो.) सत प्रकाश बंसल ने संस्थान द्वारा प्रकाशित “इम्पाउअरिंग वुमन अगैन्स्ट सेक्शूअल  हरैस्मन्ट: इशूज़, चैलिन्ज एण्ड प्रस्पेक्टिव विज़न” पुस्तक का विमोचन भी किया। पुस्तक हिमाचल प्रदेश विश्विद्याल विधिक अध्ययन संस्थान शिमला के निदेशक प्रो.(डॉ.) संजय सिंधू एवं डॉ. संयोगिता ठाकुर द्वारा संपादित की गई है।

कार्यक्रम के संरक्षक हिमाचल प्रदेश विश्विदायल, विधि विभाग के डींन एवं चैयरमेन प्रो. (ड़ॉ) रघुविंद्र सिंह और हिमाचल प्रदेश विश्विद्याल विधिक अध्ययन संस्थान शिमला के निदेशक प्रो.(डॉ.) संजय सिंधू ने भी प्रतिभागियों के साथ अपने विचार साझा किए।

संगोष्ठी का संयोजन डॉ. संयोगिता ठाकुर ने किया। चिकित्सा अधिकारी डॉ अर्चना, प्रो कुलभूषण चंदेल, उपभोक्ता आयोग की सदस्य योगिता, जूविनाईल जस्टिस सदस्य सुनीता सूद, वेद सेवा संस्थान के वेद प्रकाश के अतिरिक्त संस्थान के सभी शिक्षक एव्म विद्यार्थी भी संगोष्ठी में उपस्थित रहे। वेद संवा संस्थान संगोष्ठी के सहयोग से यह संगोष्ठी आयोजित की गई।

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