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बीते 30 सितम्बर से अपनी दशकों पुरानी मांगों को लेकर आंदोलनरत ज़िला परिषद केडर के प्रदेशभर के अधिकारियों व कर्मचारियों के समर्थन में उतरे पंचायत प्रतिनिधि, सरकार से मांगे मानने का किया आग्रह

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हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद कैडर के अधीनरत करीब 4700 अधिकारी/कर्मचारी पिछले 24 वर्षों से विभाग में विलय की राह देख रहे हैं। लेकिन सत्तासीन सरकारों ने इन कर्मचारियों की हमेशा अनदेखी ही की जिससे आजिज़ आकर इन्होंने आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर लिया है । पंचायतीराज या ग्रामीण विकास विभाग में विलय की मांग को लेकर प्रदेशभर के ज़िला परिषद केडर के ये अधिकारी व कर्मचारी बीते 30 सितम्बर से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर है। इसके अधीन पंचायत सचिव, तकनीकी सहायक, कनिष्ठ अभियंता, सहायक अभियंता डिजाइन अभियंता, अधिशासी अभियंता लेखापाल कर्मचारी आते हैं । बहुत लंबे अंतराल के बाद नियमितीकरण होने के बावजूद भी जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को अन्य विभागों की तरह स्थायी सरकारी कर्मचारियों की तर्ज पर सुविधाएं व वित्तीय लाभ नहीं दिये जा रहे है जबकि जिला परिषद कैडर में सभी कर्मचारी / अधिकारी पंचायती राज व ग्रामीण विकास विभाग का कार्य कर रहे है इतनी लंबी सेवाएँ देने के बावजूद भी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग का कार्य बखूबी निभाने के उपरांत भी यदि उन्हें सरकारी कर्मचारी की श्रेणी में नहीं लिया जाता जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है । अब इन कर्मचारियों के समर्थन में पंचायत प्रतिनिधि भी आगे आ गए हैं । शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के तहत टूटू विकास खण्ड की 34 पंचायतों के चुने हुए प्रतिनिधि आज कर्मचारियों के साथ आंदोलन में शामिल हुए । टूटू विकास समिति की अध्यक्ष सरोज ठाकुर ने सरकार से इन कर्मचारियों की मांगों को जल्द स्वीकार करने का आग्रह करते हुए कहा कि आपदा के समय वैसे भी हिमाचल प्रदेश की सभी पंचायतों के हालात बहुत खराब हुए हैं जिससे सारी पंचायतें बहुत पिछड़ गई है । ऐसे में सारे पंचायती राज सिस्टम को सुचारू रूप दिए जाने की बहुत आवश्यकता है ।

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