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सोलन के शूलिनी विश्वविद्यालय में ध्यान के माध्यम से आत्मसाक्षात्कार पर वेबिनार का आयोजन

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शूलिनी विश्वविद्यालय में योगानंद सेंटर फॉर थियोलॉजी (वाईसीटी) ने “योग ध्यान के माध्यम से आत्म-प्राप्ति” शीर्षक से अपना चौथा वेबिनार आयोजित किया। कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता प्रो. प्रेम कुमार खोसला, चांसलर, शूलिनी विश्वविद्यालय और संरक्षक, वाईसीटी और डॉ. केदार नाथ बनर्जी प्रोफेसर एमेरिटस, अध्यात्मवाद शूलिनी विश्वविद्यालय से  थे।
डॉ. बनर्जी आईआईटी मुंबई से बी.टेक हैं और पीएच.डी. लिस्बन विश्वविद्यालय, पुर्तगाल से अर्थशास्त्र और प्रबंधन में की है ।
इस अवसर पर प्रो. प्रेम कुमार खोसला ने ध्यान और योग के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह भारतीय और हिंदू विरासत का हिस्सा है। उन्होंने महावतार बाबाजी और लहरी महाशय जी के बारे में भी बात की और बताया कि कैसे उनके माध्यम से क्रिया योग के विज्ञान का कायाकल्प किया गया। उन्होंने एक योगी (एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक क्लासिक) की आत्मकथा से कई कहानियाँ साझा कीं। प्रो खोसला ने प्राणायाम और इसके महत्व के बारे में बताया और कहा कि सभी लोगों को विशेष रूप से युवाओं को अपनी जीवन शैली में 15 मिनट का ध्यान अवश्य शामिल करना चाहिए।
डॉ. केदार नाथ बनर्जी ने आधुनिक संदर्भ में अष्टांग योग की बात की। उन्होंने वेदों, उपनिषदों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने आगे कहा कि हर कोई शांति, और आनंद चाहता है। डॉ. केदार नाथ ने यह भी बताया कि कैसे पतंजलि सूत्र मानसिक और शारीरिक भलाई के लिए समर्पित है। हमारा मुख्य लक्ष्य शाश्वत शांति और आनंद प्राप्त करना होना चाहिए और जो अष्टांग योग के महत्व को समझने से ही प्राप्त होता है।
श्री विवेक अत्रे अध्यक्ष, वाईसीटी ने समापन टिप्पणी प्रस्तुत की और साझा किया कि कैसे श्री श्री परमहंस योगानंद ने दुनिया में योग ध्यान का संदेश फैलाया। डॉ. प्रेरणा भारद्वाज को-ऑर्डिनेटर, वाईसीटी और डॉ. सुप्रिया श्रीवास्तव, सहायक प्रो. ने डॉ. ललित शर्मा के साथ फार्मास्युटिकल साइंसेज शूलिनी विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर के साथ वेबिनार का आयोजन किया।

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