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सी पी एस मामले में राज्य सरकार को प्रदेश उच्च न्यायालय से मिला करारा झटका, मंत्री समान सुविधाएं और काम पर लगा विराम

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सीपीएस को अपनी सुविधाएं छोड़नी पड़ेगी और मंत्री समान काम काज भी बंद होंगे। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सतपाल जैन ने कहा वर्तमान कांग्रेस सरकार ने अपने छह विधायकों को सीपीएस बनाया था जिसके खिलाफ हमने एक याचिका प्रदेश के उच्च न्यायालय में प्रेषित की है इसको लेकर 13 बार सुनवाई हो चुकी है।
हमने अपनी याचिका में कहा है कि सीपीएस का पद का संविधान में कोई प्रावधान नहीं है और कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ़ इंडिया के आर्टिकल 164 के अंतर्गत प्रदेश में 15% से ज्यादा मंत्रिमंडल नहीं बनाया जा सकता जो कि हिमाचल में 12 है, पर सीपीएस की घोषणाओं के बाद यह संख्या 17 18 पहुंच जाती है।

उन्होंने बताया कि हमने उच्च न्यायालय में एक स्टे एप्लीकेशन प्रस्तुत की थी जिसमें हमने निवेदन किया था कि सीपीएस के कार्यों पर रोक लगाई जाए। आज इस एप्लीकेशन पर निर्णय आया है और हाईकोर्ट ने सीपीएस को मंत्रियों के दर्जे पर काम और सुविधा लेने पर रोक लगाई है। अब इनके 6 सीपीएस को मंत्री के दर्जे की कोई सुविधा प्राप्त नहीं होगी। बाकी कोर्ट के फैसले में कल तक सारी चीज़ें सामने आ जाएगी, इनको अपनी सभी सुविधाओं को छोड़ना पड़ेगा उन्होंने कहा कि इस केस को लेकर अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी।

उन्होंने कहा कि हमने विमल रॉय असम प्रांत, उसके उपरांत मणिपुर प्रांत और पंजाब प्रांत की जजमेंट भी हाई कोर्ट के सामने प्रस्तुत की है जिसमें सीपीएस के निर्णय के खिलाफ फैसला सुनाया गया है।

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